टीएनपी डेस्क: भारत की किस्मत में बहुत से ऐसे नाजुक मोड़ आए जब भारत की अखंडता खंडित होकर बिखर गई. इस टूटे फूटे से बिखरे भारत में नवचेतना जाग्रत हुई और आजादी की लंबी लड़ाई लड़ी गई. लेकिन इस लड़ाई में जहां भारत के लोगों की जीत हुई वहीं अंग्रेजों ने भारत को भाषा क्षेत्र और रीतिरिवाज के नाम पर कई टुकड़ों मे तोड़ने का बीजारोपन कर रखा था. वो समय जब भारत 300 छोटे छोटे रियासतों में में बंता था और भारत अपनी अखंडता की राह निहार रहा था . उस वक्त भारत को अखंड और मजबूत स्वरूप देने में जिस व्यक्ति की सबसे बड़ी भूमिका थी वे थे सरदार पटेल. उन्होंने देसी रियासतों को प्यार से और कूटनीतिक तरीके से भारत में मिलाया. उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति और दूरदृष्टि ने भारत को मजबूत बनाया. आज उन्ही लौह पुरुष सरदार पटेल की आज पुण्यतिथि है. उनका जन्म गुजरात के नाडियाड में 1875 में हुआ था. पहली बार सरदार पटेल बारडोली मूवमेंट से राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आए थे. वर्दोली की महिलाओं ने उन्हें सरदार की उपाधि दी थी. सरदार वल्लभभाई पटेल कानून के बड़े ज्ञाता थे. स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान उनकी भूमिका एक मजबूत और एक निष्ठ आंदोलनकारी के रूप में थी. आज भी यह चर्चा का विषय बना हुआ है कि सरदार पटेल भारत के प्रधानमंत्री हो सकते थे लेकिन तत्कालीन परिस्थितियों की वजह से महात्मा गांधी ने जवाहरलाल नेहरू को भारत का प्रथम प्रधानमंत्री बनाया. भारत को स्वतंत्रता दिलाने में वैसे तो महात्मा गांधी जवाहरलाल नेहरू और अन्य नेताओं की बड़ी भूमिका से इंकार नहीं है पर एक अखंड और एकीकृत भारत बनाने में सरदार पटेल की भूमिका सबसे बड़ी रही है. उन्होंने 565 रियासतों को भारत में विलय आया. बहुत सारी रियासतों ने तो प्यार से भारत में विलय की मंजूरी दी. लेकिन, हैदराबाद और जूनागढ़ को भारत में मिलाने में सरदार पटेल ने बहुत ही कूटनीतिक प्रतिभा का प्रदर्शन किया. 1947 में अक्टूबर महीने में पाकिस्तान के जम्मू कश्मीर क्षेत्र में घुसपैठ और तदुपरांत सैनिक कार्रवाई में उनकी कूटनीति बहुत कमाई आई. पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी. अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और कड़े निर्णय के लिए उन्हें लौह पुरुष के नाम से जाना जाने लगा. भारत के लौह पुरुष के रूप में पहचाने जाने वाले सरदार वल्लभभाई पटेल को देश की आजादी के समय देश के एकीकरण जैसे भागीरथ कार्य को अंजाम देने के लिए जाना जाता है. वे देश के पहले गृहमंत्री थे. आजादी के समय भारत पाकिस्तान के बंटवारे की प्रक्रिया को सुचारू रूप से करने के अलावा उस समय देश भर में चल रहे हिंदू मुसलमान दंगों से निपटने के लिए उनका अविस्मरणीय योगदान था. 75 वर्ष की उम्र में सरदार पटेल मुंबई में 1950 में अंतिम सांस ली. आज उनकी 72 वी पुण्यतिथि है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के अखंड और एकीकृत रूप में सरदार पटेल की भूमिका को अविस्मरणीय बताया है. पीएम मोदी ने पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि दी है. झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सरदार पटेल को पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि दी है.
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