रांची(RANCHI): राजधानी रांची में जमीन माफियाओं का राज चलता है. किसी की भी जमीन का फर्जी पेपर बना कर बिक्री कर देते है. इतना ही नहीं बिक्री के बाद उस जमीन पर कब्जा कराने का भी काम किया जाता है. अगर जमीन मालिक इसका विरोध करते है तो उन्हें बॉउन्सर से पिटवाता भी है. अब इन सब के बीच सवाल खड़ा होता है कि क्या इतना कुछ बिना पुलिस प्रशासन के अनजाने में होता है. इस सवाल का जवाब ईडी ने दे दिया है. दरअसल जमीन कारोबारी कमलेश से जुड़े ठिकानों पर दबिश के दौरान कई फर्जी दस्तावेज ईडी को हाथ लगे है.
बरामद दस्तावेज की जांच में पता चला कि चामा गांव की सैकड़ों एकड़ जमीन के नेचर को बदल कर कमलेश ने बिक्री कर दिया है. इसके बाद ईडी की टीम चामा गांव पहुंच कर स्थानीय लोगों से जानकारी ली है.लोगों ने ईडी को दिए बयान में बताया कि कमलेश फर्जी दस्तावेज के जरिए उनकी जमीन को बेच दिया है. जब अपने ही खेत पर काम के लिए जाते थे तो बॉउन्सर से पिटाई कराता था. पीड़ित ने ईडी को बयान भी दर्ज करा दिया है.
देखें तो जमीन का खेल रांची में बड़े पैमाने पर जारी है. जमीन का नेचर बदल कर उसकी बिक्री कर दी जाती है. अब सवाल उठता है कि क्या जमीन के फर्जी दस्तावेज बनाने में अधिकारियों की भी संलिप्ता रहती है. इस कड़ी को जोड़ने के लिए ईडी की टीम कांके अंचल कार्यालय भी पहुंच कर जांच किया है. अंचल अधिकारी के कार्यालय में कई घंटों तक दस्तावेजों को खंगाला है. इस पूरे जमीन के खेल में अंचल अधिकारी की भी भूमिका संदिग्ध है. बिना अधिकारी की मिली भगत में इतने बड़े पैमाने पर जमीन की फर्जी खरीद बिक्री नहीं हो सकती है.
21 जून को कांके स्थित फ्लैट में ईडी ने छापेमारी की थी. इस छापेमारी में एक करोड़ रुपये नगद और 100 जिंदा कारतूस बरामद किया गया है. छापेमारी के बाद से ही कमलेश फरार है. ईडी ने समन भेज कर पूछताछ के लिए बुलाया था. लेकिन वह ईडी के समन पर भी हाजिर नहीं हुआ है. इस दौरान ईडी ने जमीन के फर्जी दस्तावेज को तैयार करने वाले शेखर कुशवाहा को गिरफ्तार किया. शेखर से पूछताछ में कई जानकारी मिली है. जिसके आधार पर जांच की कड़ी को आगे बढ़ाने की कवायद जारी है.
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