दुमका (DUMKA) : सूर्य नारायण हांसदा उर्फ सूर्या हांसदा पुलिस मुठभेड़ में मारा गया. गोड्डा ही नहीं संताल परगना प्रमंडल के अन्य जिलों में भी लगभग दो दशक से अपराध जगत का जाना पहचाना नाम था सूर्या. सूर्या के खौफ का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2008 के करीब जब सूर्या के घर की कुर्की जप्ती की गई थी तो तत्कालीन एसपी राकेश बंसल ने लगभग एक दर्जन थाना की पुलिस को भेजा था. वर्तमान एसपी मुकेश कुमार भी बता रहे है कि सूर्या द्वारा साहेबगंज के डीएसपी पर हमला किया गया था.
अपराध के रास्ते राजनीति में किस्मत चमकाने की फिराक में था सूर्या
भारत में राजनीति का अपराधीकरण तो दशकों पूर्व हो चुका है. ऐसे अनगिनत नाम है जो आज जनता के सेवक बने हुए है. जब उनके इतिहास को खंगालेंगे तो एक दौर ऐसा भी मिलेगा जब आज के जनसेवक के नाम का खौफ रहता था. अपराध की दुनिया में नाम कमाने वाला सूर्या हांसदा की मां जिला परिषद सदस्य चुनी गई थी. मां की जीत ने सूर्या की महत्वाकांक्षा को बढ़ा दिया. वह विधायक बनने का ख्वाब देखने लगा.
बोरियो विधान सभा क्षेत्र से चार बार चुनाव लड़ चुका था सूर्या
धीरे धीरे वह तत्कालीन झारखंड विकास मोर्चा के सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी के संपर्क में आया. वर्ष 2009 और 2014 का चुनाव बोरियो विधान सभा क्षेत्र से झाविमो के टिकट पर लगा लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी. वर्ष 2019 के चुनाव के पूर्व वह भाजपा में शामिल हो गया. भाजपा ने प्रत्याशी बनाकर बोरियो विधान सभा क्षेत्र में उतार दिया लेकिन सूर्या की किस्मत दगा दे गई. 2024 के चुनाव में भाजपा ने लेविन हेंब्रम को प्रत्याशी बनाया तो सूर्या जयराम के शरण में चला गया और JLKM प्रत्याशी बन कर मैदान में उतर गया. इस तरह चार बार विधान सभा चुनाव लड़ा लेकिन हर बार पराजय का सामना करना पड़ा.
दो दर्जन से अधिक मामला दर्ज था सूर्या पर
पुलिस की माने तो गोड्डा के ललमटिया, बोआरीजोर और साहिबगंज के मिर्जा चौकी सहित अन्य थाना क्षेत्रों में सूर्या आपराधिक घटना को अंजाम देता रहा. उसके खिलाफ दो दर्जन से ज्यादा मामला दर्ज था. उसने एक संगठित गिरोह बना लिया था. सूर्या के एक इशारे पर उसके गुर्गे किसी भी घटना को अंजाम दे सकता था. पुलिस सूर्या की गिरफ्तारी का हर संभव प्रयास करने लगी. इसी बीच पुलिस ने रविवार को देवघर के मोहनपुर थाना क्षेत्र से गिरफ्तार कर लिया.
गिरफ्तारी के बाद से ही परेशान थे परिजन
गिरफ्तारी के बाद ही परिजनों ने अनहोनी की आशंका जताई थी. इस बीच सोमवार की सुबह खबर आई कि एनकाउंटर में सूर्या मारा गया. सोमवार दिन भर गहमा गहमी के बाद शाम में गोड्डा एसपी मुकेश कुमार ने प्रेसवार्ता के माध्यम से सूर्या हांसदा की मुठभेड़ की पूरी कहानी मीडिया के समक्ष रखा. करीब 6 मिनट के एसपी के बयान में कई ऐसे बिंदु है जिसपर सवाल खड़े हो रहे है.

The News Post किसी भी अपराध या अपराधी का समर्थन नहीं करता, लेकिन सवाल तो बनता है
The News Post किसी भी अपराध और अपराधी का समर्थन नहीं करता. मुठभेड़ हुई और सूर्या मारा गया. सूर्या के परिजन इसे फर्जी मुठभेड़ करार दे रहा है. मुठभेड़ असली था या फर्जी इसकी भी जांच होगी. मानवाधिकार आयोग की नजर भी इस मुठभेड़ पर होगी. पुलिस ने अपना काम किया, जांच एजेंसी अपना काम करेगी. लेकिन एसपी के बयान से जो सवाल खड़े हो रहे है, The News Post उन सवालों को सामने रख रहा है...
सवाल उठता है कि जब पुलिस इतनी मुस्तैद थी तो फिर ऐसी नौबत क्यों आई. जब पुलिस के हाथ से हथियार छीनकर सूर्या भागने लगा तो फिर कैसे कह सकते है कि पुलिस मुस्तैद थी. क्या वैसे लापरवाह पुलिस पर भी कोई कार्रवाई होगी?
पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने भी मुठभेड़ पर जताया संदेह
ऐसे में सवाल कई है. खुद पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने इस मुठभेड़ पर संदेह व्यक्त किया है. पुलिस के दावे और परिजनों के आरोप के बीच इन सवालों का जबाव कौन देगा यह अहम सवाल है, लेकिन उससे भी बड़ा सवाल यह है कि सूर्या हांसदा के बढ़ते राजनीतिक कद से किसे खतरा था.
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