मेडिकल कॉलेज में नामांकन को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, डोमिसाइल के आधार पर नहीं दिया जा सकता आरक्षण

नई दिल्ली (NEW DELHI) : देश की सर्वोच्च अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया है. यह फैसला मेडिकल कॉलेज में एडमिशन को लेकर आया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि मेडिकल कॉलेज में पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स में डोमिसाइल के आधार पर आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा सकता. कोर्ट ने इसे गलत और असंवैधानिक माना है. सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने इसे संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन बताया है और कहा है कि इसे लागू नहीं किया जा सकता.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश को विस्तार से जानें
सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने कहा कि 'हम सभी भारत के निवासी हैं. यहां राज्य या प्रांतीय डोमिसाइल जैसा कुछ नहीं है. केवल एक डोमिसाइल है और वह यह है कि हम सभी भारत के निवासी हैं.' सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच में जस्टिस ऋषिकेश राय, जस्टिस एवीएन भट्टी और जस्टिस सुधांशु धूलिया शामिल थे.
बेंच ने आगे कहा कि संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत हर नागरिक को भारत के किसी भी हिस्से में रहने, व्यापार करने और पेशेवर काम करने का अधिकार है. यह अधिकार शिक्षण संस्थानों में प्रवेश पर भी लागू होता है और निवास के आधार पर कोई भी प्रतिबंध पीजी स्तर पर इस मौलिक सिद्धांत को बाधित करता है. इसलिए यह गलत है.
कोर्ट ने कहा है कि यह संविधान की भावना और प्रावधान के खिलाफ है. पीजी मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश के विषय का जिक्र करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस बीच कहा कि कुछ हद तक निवास आधारित आरक्षण एमबीबीएस प्रवेश के लिए मान्य हो सकता है. लेकिन इसे पीजी में प्रवेश के लिए लागू नहीं किया जा सकता. साथ ही आगे यह भी कहा गया है कि पीजी पाठ्यक्रम को विशेषज्ञता हासिल करने के लिए परिभाषित किया गया है.
इसलिए इसमें निवास आधारित आरक्षण संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन होगा. फिलहाल इस आरक्षण व्यवस्था के तहत प्रवेश लेने वालों को राहत दी गई है. लेकिन कोर्ट का यह आदेश भविष्य में किसी भी नामांकन में प्रभावी रहेगा.
आपको बता दें कि यह मामला 2019 में कोर्ट के सामने आया था. इसके खिलाफ पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में अपील की गई थी. यह फैसला डॉ. तन्वी बहल बनाम श्री गोयल व अन्य के मामले में आया है. हाईकोर्ट के फैसले में पीजी मेडिकल प्रवेश में निवास आरक्षण को संवैधानिक करार दिया गया था.
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