टीएनपी डेस्क (TNP DESK)- जाति आधारित जनगणना के खिलाफ दायर याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने 18 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दिया है. अब इस मामले में अगली सुनवाई 18 अगस्त को होगी. पटना हाईकोर्ट के द्वारा जातीय जनगणना के फैसले को उचित करार दिये जाने के बाद इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गयी है.
पटना हाईकोर्ट के फैसले के बाद उत्साहित है बिहार सरकार
इधर पटना हाईकोर्ट के फैसले से उत्साहित बिहार सरकार तेजी से जातीय जनगणना के कार्य में तेजी लाने का आदेश दिया है, संबंधित अधिकारियों को इसे जल्द से जल्द पूरा करने को कहा गया है. सरकार का दावा है कि 80 फीसदी कार्य पूरा हो चुका है, शेष कार्य करीबन एक सप्ताह में पूरा होने के आसार हैं. हर दिन करीबन तीन लाख परिवारों का डाटा अपलोड किया जा रहा है. सरकार की इस तेजी के बावजूद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में स्थगन आदेश देने से इंकार कर दिया, पिछले सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यदि 90 फीसदी सर्वेक्षण का कार्य भी पूरा हो जाता है, तो भी इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा.
सीएम नीतीश का मास्टर स्ट्रोक
ध्यान रहे कि जातीय जनगणना को सीएम नीतीश का मास्टर स्ट्रोक और प्रोजेक्ट माना जा रहा है, सरकार का दावा है कि इसके आंकड़े को सामने आने के बाद हर सामाजिक समूह की वास्तविक सामाजिक-आर्थिक स्थिति सामने होगी, और इस के आधार पर विकास की रफ्तार में पीछे खड़े सामाजिक समूहों की आर्थिक जरुरतों के हिसाब से नीतियों के निर्माण किया जायेगा, वहीं इसके विरोधियों का तर्क है कि इसे समाज में जातीयता को बढ़ावा मिलेगा, हालांकि पटना हाईकोर्ट ने अपने फैसले में बिहार सरकार के रुख का स्वागत किया है, और इसे आर्थिक न्याय की दिशा में बड़ा कदम बताया है.
जातीय जनगणना को लेकर बिहार में राजनीति तेज
जातीय जनगणना को लेकर बिहार में राजनीति भी काफी तेज हैं, भाजपा जहां हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत कर रही है, वहीं महागठबंधन में शामिल नेताओं का आरोप है कि यह भाजपा ही हैं, जो अपने समर्थकों को बार- बार कोर्ट भेज कर इस को रोकवाना चाह रही है, राजद-जदयू का दावा है कि पिछड़ों की जनसंख्या सामने नहीं इसको लेकर भाजपा बेहद परेशान है, क्योंकि आजादी के बाद अब तक पिछड़ों जातियों की हकमारी हुई है, और कुछ विशेष जातियों के द्वारा पूरी मलाई खायी गयी है, यही कारण है कि भाजपा जाति आधारित जनगणना को किसी भी कीमत पर रोकने को आमादा है.
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