गोपालगंज(GOPALGANJ): इन दिनों देश सहित पूरे बिहार में बाहुबली नेता और पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई को लेकर राजनीति गरमाई हुई है.चोरों तरफ उनका समर्थन और विरोध देखने को मिल रहा है. एक तरफ जहां समर्थक स्वागत सत्कार में लगे हैं तो वहीं दूसरी तरफ दलित संगठन की ओर से पटना हाई कोर्ट में पीआईएल दायर कर सरकार के फैसलों को चुनौती दी गई है. इसके साथ ही आईएएस संगठन भी इसका कड़ा विरोध जता रहे हैं. इसी बीच डीएम के ड्राइवर ने अपनी आंखों देखी हत्या की पूरी कहानी बताई है.
डीएम की हत्या की आंखों देखी कहानी
इसी बीच गोपालगंज डीएम जी कृष्णैय के ड्राइवर दीपक ने हत्या के दिन की आंखों देखी कहानी की सच्चाई बताई है. और बताया कि आखिर उस दिन किस तरह से डीएम की हत्या आक्रोशित भीड़ ने पत्थर से कूच-कूचकर कर दी थी.
आनंद मोहन की रिहाई से हर तरफ सियासी बयानबाजी
हत्या के मामले में जेल में बंद पूर्व सांसद आनंद मोहन की आज 27 अप्रैल को जेल से रिहाई हो गई. आनंद मोहन की रिहाई के बाद सियासी चर्चाएं शुरू हो गयी है. घटना के वक्त डीएम जी कृष्णैया की कार ड्राइवर दीपक कुमार चला रहे थे. डीएम की हत्या के दौरान दीपक को भी गंभीर चोटें आईं थी. जी कृष्णैया की हत्या में चश्मदीद दीपक कुमार ने एक्सक्लुसिव बातचीत में बहुत सारी बातों का खुलासा किया है.
सैकेड़ों की भीड़ ने कर दिया था हमला
दीपक कुमार ने बताया कि चुनाव की पर्ची लेकर हाजीपुर से मुजफ्फरपुर के रास्ते गोपालगंज जा रहे थे. इस दौरान सैकड़ो की संख्या में आनंद मोहन के पार्टी के कार्यकर्ता जा रहे थे. डीएम के ड्राइवर दीपक साईड से भीड़ से बचते हुए गाड़ी निकाल रहे थे. तभी डीएम के बॉडी गार्ड को भीड़ ने गाड़ी से बाहर खींच लिया. ये देखकर दीपक कुमार डीएम को लेकर भीड़ से निकल गये.
उस दिन साहब ने मानी होती बात तो जिंदा होते आज
जब थोड़ा आगे गये तो डीएम जी कृष्णैय ने गाड़ी रोकने को कहा. लेकिन उनके ड्राइवर दीपक ने गाड़ी रोकने से मना कर दिया और कहा कि गाड़ी रोकने से उनकी जान को खतरा हो सकता है. लेकिन डीएम जी कृष्णैय की जिद्द करने पर मजबूरन गाड़ी रोकनी पड़ी. तभी भीड़ डीएम के उपर टूट पड़ी. और पीट-पीटकर उनको घायल कर दिया. दीपक को इसमें गंभीर चोटे आई थी. दीपक ने बताया कि जब कुछ देर बाद भीड़ कम हुई तो देखा कि साहब की गाड़ी पलटी हुई है. और साहब खाई में बेहोश पड़े हैं. वहां से पुलिस की गाड़ी को देख रोका और साहब को लेकर अस्पताल गये. लेकिन वहीं उनकी मौत हो गई. आगे दीपक बताते हैं कि यदि साहब ने इनकी बात मानी होती तो वो आज जिंदा होते.
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