देश के आम बजट की चर्चा के साथ कैसे चर्चित होती गई बिहार की दुलारी देवी, पढ़िए इस रिपोर्ट में

बिहार : आम बजट पेश होने के साथ ही बिहार की दुलारी देवी भी चर्चा में आ गई. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की साड़ी की जीतनी तारीफ होती रही ,दुलारी देवी की चर्चा बढ़ती गई. वित्त मंत्री जिस साड़ी को पहनकर बजट पेश करने पहुंची थी. उस साड़ी ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा . वित्त मंत्री ने मधुबनी कला से सजी क्रीम रंग की एक खास साड़ी पहनी थी. वित्त मंत्री की यह साड़ी इसलिए भी और खास हो गई, क्योंकि यह न सिर्फ भारत की कला को पेश कर रही थी, बल्कि इसको बिहार के मशहूर मधुबनी चित्रकार पद्मश्री दुलारी देवी ने तैयार किया था. कहा जाता है कि दुलारी देवी की यह साड़ी सिर्फ एक साड़ी नहीं, बल्कि संघर्ष, परंपरा और कला की बेमिशाल यात्रा की कहानी है.
मधुबनी में दुलारी देवी ने यह साड़ी की थी गिफ्ट
दुलारी देवी ने वित्त मंत्री को यह साड़ी गिफ्ट की थी. गिफ्ट करते समय भी वित्त मंत्री से दुलारी देवी ने अनुरोध किया था कि वह साड़ी पहनकर 2025 का बजट पेश करे. दुलारी देवी ने वित्त मंत्री को यह साड़ी तब दी थी, जब वह मधुबनी के दौरे पर गई थी. मधुबनी जिले में जन्मी दुलारी देवी मछुआरा समुदाय से आती है. जहां महिलाओं को कला से कोई संबंध नहीं होता. दुलारी देवी के जीवन में ऐसा नहीं था कि वह बचपन से ही चित्रकला की शौकीन थी. बल्कि परिस्थितियों ने उन्हें यह सब करने को मजबूर कर दिया. फिर दुलारी देवी ने मजबूरियों को अवसर में बदलना शुरू किया और सफल रही. दुलारी देवी की छोटी उम्र में शादी हो गई थी और केवल 16 साल की उम्र में उसके पति ने छोड़ दिया था. इससे भी बड़ा दुख तब मिला जब उन्होंने अपने बच्चों को खो दिया था.
16 सालों तक एक घरेलू नौकरानी के रूप में काम किया था दुलारी देवी ने
इसके बाद अपनी जिंदगी जीने के लिए उन्होंने 16 सालों तक एक घरेलू नौकरानी के रूप में काम किया. फिर तो किस्मत ने पलटा खाना शुरू किया. जिस घर में वह नौकरानी थी ,वहां प्रसिद्ध मधुबनी चित्रकार कर्पूरी देवी रहती थी. उन्हें देखकर दुलारी देवी को भी इस कला में दिलचस्पी पैदा हुई. उन्होंने धीरे-धीरे चित्रकारी सीखना शुरू किया और यहीं से उनकी प्रतिभा को कामयाबी की राह मिली. अपनी मिहनत और प्रतिभा के बल पर वह राष्ट्रीय स्तर पर कलाकार बन गई और उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया. दुलारी देवी की मधुबनी चित्रकारी सिर्फ रंगों का संगम नहीं बल्कि समाज में जागरूकता फैलाने का एक जरिया भी है. उन्होंने अब तक 10000 से भी अधिक पेंटिंग्स बनाई है. जिनमें वह बाल विवाह, एड्स जागरूकता ,भ्रूण हत्या जैसे मुद्दे को सामने लाने का प्रयास किया है. उनकी कला न सिर्फ बिहार बल्कि पूरे देश में प्रदर्शनी का हिस्सा बन चुकी है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
4+