रामनवमी विशेष: झारखंड के इस गांव में हुआ था हनुमानजी का जन्म, धर्म ग्रंथों में भी मिलता है प्रमाण, पढ़ें प्रचलित कथाएं

गुमला(GUMLA):आज पूरे देश में प्रभु श्री राम के जन्म के अवसर पर रामनवनमी पूरे धूमधाम से मनायी जा रही है.रामभक्त पूरे उत्साह के साथ पूजा पाठ कर रहे है, तो वहीं श्राराम भक्त हनुमान जी की भी लोग पूजा हो रही है, तो चलिए आज हम झारखंड के ऐसे गांव की चर्चा करेंगे, जिसका हनुमान जी के जन्म से गहरा संबंध है.गुमला जिला का आंजन गांव आज हनुमान जी की जन्म स्थली के रूप में लोगों की आस्था और विश्वास का केंद्र बना हुआ है. आज रामनवमी के अवसर पर इस स्थान पर लोगों की भीड़ उमड़ जाती है.प्रकृति की सुंदर वादियों के बीच ऊंचे पहाड़ों पर स्थित यह स्थान हनुमान जी की जन्म स्थली होने का कई प्रमाण देता है.प्रशासन की ओर से भी इस स्थान के विकास को लेकर लगातार प्रयास किया जा रहा है.
हनुमान जयंती पर भी उमड़ती है भक्तों की भीड़
गुमला के आंजन गांव का ऐतिहासिक महत्व है.झारखंड राज्य के गुमला ज़िले में स्थित आंजन गांव धार्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है. यह गांव भगवान हनुमान जी की जन्मभूमि के रूप में मान्यता प्राप्त है. देशभर के श्रद्धालु यहां हनुमान जन्मोत्सव के अवसर पर बड़ी संख्या में पहुंचते हैं. गुमला जिला मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित आंजन गांव घने जंगलों, पहाड़ियों और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है. यह गांव टांगीनाथ और पालकोट जैसे ऐतिहासिक स्थलों के करीब है. यहां की भौगोलिक बनावट, गुफाएं, झरने और प्राचीन मंदिर इस स्थान को न सिर्फ धार्मिक बल्कि ऐतिहासिक दृष्टि से भी विशिष्ट बनाते हैं.हनुमान जन्म स्थल के रूप में मान्यता,आंजन गांव को भगवान हनुमान जी की जन्मभूमि माना जाता है.
हनुमान जी की जन्मभूमि
आपको बताये कि वाल्मीकि रामायण, पुराणों और अन्य ग्रंथों में वर्णित संकेतों के अनुसार, हनुमान जी का जन्म अंजनी माता की तपोभूमि पर हुआ था. अंजनी माता एक अप्सरा थीं जिन्होंने वानरराज केसरी से विवाह किया था. तपस्या के दौरान वायुदेव के आशीर्वाद से उन्हें हनुमान जी की प्राप्ति हुई.इसी तपोभूमि को वर्तमान में आंजन कहा जाता है, जो अंजनी माता के नाम पर ही पड़ा है.यहां स्थित अंजनी गुफा को हनुमान जी की जन्मस्थली के रूप में पूजा जाता है.
गुफा में स्थित है हनुमान जी प्राचीन मूर्ति है
वहीं आपके बताये कि गुफा में एक प्राचीन मूर्ति है, जिसमे अंजनी माता की गोद में बाल हनुमान की प्रतिमा स्थापित है. यह मूर्ति हजारों वर्षों पुरानी मानी जाती है और पत्थर को तराशकर बनाई गई है.आंजन गांव में स्थित अंजनी गुफा एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है, जिसे स्थानीय लोग अंजनी पर्वत कहते हैं. इस गुफा तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को करीब 360 सीढ़ियां चढ़नी होती हैं.गुफा के भीतर ठंडक और आध्यात्मिक वातावरण श्रद्धालुओं को विशेष अनुभूति कराता है.गुफा के पास एक प्राचीन जल स्रोत भी है, जिसे अंजनी कुंड कहा जाता है. माना जाता है कि यही वह स्थान है जहां अंजनी माता स्नान किया करती थीं. इस जल को पवित्र माना जाता है और श्रद्धालु यहां स्नान कर पूजा करते हैं.
कारीगरी और मूर्तिकला यहां की सांस्कृतिक संपन्नता को दर्शाती है
आंजन गांव और इसके आसपास के क्षेत्र में अनेक पुरातात्विक अवशेष प्राप्त हुए हैं. यहां की मूर्तियां, गुफाएं और शिलालेख इस क्षेत्र की प्राचीनता को प्रमाणित करते हैं.कुछ इतिहासकारों के अनुसार यह क्षेत्र रामायण काल से जुड़ा हुआ है. गुमला जिले के पालकोट क्षेत्र में भी प्राचीन वानर सभ्यता और रामायण कालीन स्थलों के प्रमाण मिलते हैं.भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा यहां पर किए गए अध्ययन में भी अंजनी गुफा की प्राचीनता प्रमाणित हुई है.पत्थरों पर की गई कारीगरी और मूर्तिकला यहां की सांस्कृतिक संपन्नता को दर्शाती है.हनुमान जी के भक्तों के लिए आंजन गांव एक अत्यंत पवित्र स्थल है. यहां प्रतिवर्ष हनुमान जन्मोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाता है.इस अवसर पर झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, बिहार और उत्तर प्रदेश से हजारों श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं.श्रद्धालु अंजनी गुफा में पूजा-अर्चना करते हैं और यहां जल अर्पण कर अपनी मनोकामनाएं पूरी होने की प्रार्थना करते हैं.कई लोग मानते हैं कि यहां की पूजा से शारीरिक और मानसिक रोगों से मुक्ति मिलती है.
गांव में हनुमान जी से जुड़ी अनेक लोककथाएं प्रचलित हैं
गांव में हनुमान जी से जुड़ी अनेक लोककथाएं प्रचलित हैं.स्थानीय आदिवासी समुदायों के अनुसार, हनुमान जी न केवल एक देवता हैं बल्कि संरक्षक शक्ति के रूप में भी पूजित हैं. इन लोककथाओं में हनुमान जी को वनों के रक्षक, पर्वतों के स्वामी और दुष्टों के विनाशक के रूप में वर्णित किया गया है.यहां के लोक गीतों, नाटकों और परंपराओं में हनुमान जी का विशेष स्थान है। ग्रामीणों का विश्वास है कि गांव पर कोई विपत्ति नहीं आती क्योंकि पवनपुत्र हनुमान स्वयं उसकी रक्षा करते हैं.आंजन गांव धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से अत्यंत संभावनाशील क्षेत्र है। यदि इसे राज्य सरकार और केंद्र सरकार द्वारा धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाए, तो न केवल श्रद्धालुओं को सुविधा होगी, बल्कि इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा.इस स्थान के प्रति लोगों की अटूट आस्था और विश्वास है लोगो का मानना है कि यहां आकर पूजा करने से लोगों की मनोकामना पूरी होती है.
आंजन गांव सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं भारतीय सांस्कृतिक धरोहर का अद्भुत प्रतीक है
यहां रोपवे, भव्य मंदिर परिसर, धार्मिक संग्रहालय और आश्रय गृह जैसे सुविधाएं विकसित की जा सकती हैं.वर्तमान में भी यहां एक सुंदर मंदिर और सीढ़ियों के निर्माण का कार्य किया गया है, लेकिन इसे और सुसज्जित करने की आवश्यकता है.आंजन गांव सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं है, यह भारतीय सांस्कृतिक धरोहर का अद्भुत प्रतीक है. यह स्थान न केवल भगवान हनुमान के जन्मस्थल के रूप में पूज्य है, बल्कि यह झारखंड की गौरवशाली परंपरा, संस्कृति और इतिहास का परिचायक भी है। इस स्थल का समुचित प्रचार-प्रसार और संरक्षण आवश्यक है ताकि आने वाली पीढ़ियां भी इस पावन धरोहर से परिचित हो सकें।हनुमान जी की जन्मभूमि के रूप में आंजन गांव न केवल श्रद्धा और आस्था का केंद्र है, बल्कि यह हमें हमारे गौरवशाली अतीत से भी जोड़ता है.
रिपोर्ट-सुशील कुमार
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