रांची(RANCHI)-पश्चिम बंगाल में आदिवासी कुर्मी समाज के द्वारा संगठन से जुड़े नेताओं पर उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए रेल रोको आन्दोलन को वापस लेने का फैसला किया गया है. आन्दोलन वापस लेने की जानकारी देते हुए संगठन के नेता अजीत महतो ने इस बात का दावा किया है कि पच्छिम बंगाल सरकार लगातार हमारे नेताओं पर उत्पीड़न कर रही है, जिसके कारण हमें मजबूर होकर यह आन्दोलन वापस लेना पड़ रहा है. अजीत महतो ने इस बात का भी दावा किया कि 30 सितम्बर को पुरुलिया में संगठन की बैठक में आगे की रणनीति तैयार की जायेगी.
टोटेमिक कुड़मी विकास मोर्चा का आन्दोलन वापस लेने से इंकार
लेकिन इसके विपरीत झारखंड ओडिशा में टोटेमिक कुड़मी विकास मोर्चा ने आन्दोलन जारी रखने का फैसला किया है. हालांकि दक्षिण-पूर्वरेलवे (एसईआर) और पूर्व तटीय रेलवे (ईसीओआर) के द्वारा यह दावा किया गया है कि कुड़मी संगठनों के द्वारा प्रस्तावित आन्दोलन वापस ले लिया गया है, जिसके बाद सभी रद्द 11 ट्रेनों को एक बार फिर से चलाने का फैसला किया गया है. इसके साथ ही जिन 12 ट्रेनों का मार्ग बदला गया था, अब उसे भी सामान्य मार्ग पर चलाया जायेगा. रांची रेल मंडल के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी निशांत कुमार ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि सभी रद्द और मार्ग परिवर्तित ट्रेनों को सामान्य मार्ग पर चालू किया जा रहा है.
आदिवासी दर्जे की मांग के लिए संघर्ष करता रहा है कुड़मी समाज
लेकिन रेलवे अधिकारियों के दावे के विपरीत टोटेमिक कुड़मी विकास मोर्चा (टीकेवीएम) के अध्यक्ष शीतल ओहदार ने साफ किया है कि संगठन की ओर से इस प्रकार को कोई फैसला नहीं हुआ है, हमारे सभी समर्थक ट्रेन को बाधित करने की रणनीति पर काम करते रहेंगे, सरकार जल्द से जल्द कुड़मियों को आदिवासी का दर्जा दे और इसके साथ ही कुरमाली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूचि में शामिल करे. यहां ध्यान रहे कि कड़मी समाज के द्वारा लम्बे अर्से से आदिवासी का दर्जा देने की मांग की जाती रही है, और आज भी कुड़मी समाज झारखंड के मुरी, गोमो, नीमडीह और घाघरा स्टेशनों पर अपना शक्ति प्रर्दशन कर रहा है.
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