पटना(PATNA): बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के विवादित बयान को लेकर भले ही देश की सियासत गरमाई हुई हो लेकिन राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इसकी कोई जानकारी ही नहीं है. दरअसल, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समाधान यात्रा पर हैं और आज दरभंगा पहुंचे नीतीश कुमार से जब मंत्री चंद्रशेखर की तरफ से दिए गए विवादित बयान को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने इसके बारे में जानकारी नहीं होने की बात कही. नीतीश कुमार ने कहा कि उन्हें इस मामले की कोई जानकारी नहीं है. हालांकि, बार-बार जब मीडिया ने सवाल किया तो नीतीश कुमार केवल इतना कह पाए कि जानकारी नहीं है, लेकिन वह इस मामले में मंत्री से बात करेंगे. देखा जाए तो चंद्रशेखर विवाद को लेकर सीएम नीतीश कुमार ने एक तरह से किनारा कर लिया है. सीएम नीतीश जिस वक्त सवालों का जवाब दे रहे थे उस वक्त राज्य के सूचना जनसंपर्क मंत्री और जेडीयू के नेता संजय झा भी सवालों को दरकिनार करने का इशारा कर रहे थे.
जदयू नेताओं को दी नसीहत
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चंद्रशेखर के बयान के बारे में जानकारी नहीं होने का हवाला देते हुए भले ही रामचरितमानस विवाद से किनारा कर लिया हो लेकिन उनकी पार्टी जनता दल यूनाइटेड ने शिक्षा मंत्री के बयान पर आधिकारिक प्रतिक्रिया जारी की है. जेडीयू की तरफ से कहा गया है कि सरकार में शामिल सभी नेताओं को इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि किसी भी व्यक्ति की धार्मिक भावनाएं आहत ना हो और विवादित बयान से किसी को ठेस ना पहुंचे
शिक्षा मंत्री नहीं मांगेंगे माफी
वहीं विपक्षी दल बीजेपी के साथ-साथ तमाम हिंदू संगठनों की मांग है कि शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर अपने विवादित बयान के लिए देश की जनता से माफी मांगे. इसी बीच प्रो. चंद्रशेखर ने कहा है कि वे अपने बयान पर कायम हैं और उनका कहना है कि उन्होंने कुछ ऐसा नहीं कहा है जिसके लिए उन्हें मांफी मांगने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि माफी तो उन लोगों को मांगनी चाहिए जिन्होंने अन्याय किया है. इस दौरान शिक्षा मंत्री रामचरितमानस की आधी-अधूरी जानकारी पर अपना बेतुका तर्क देते नजर आए.
सालों साल से इन ग्रंथों को लेकर चल रहा वैचारिक संघर्ष : शिक्षा मंत्री
प्रो. चंद्रशेखर ने कहा है कि रामचरितमानस में 5-6 ऐसे दोहे हैं जो विरोध करने योग्य हैं. उन्होंने कहा कि उन दोहों को लेकर मुझे आपत्ति है, इसलिए उसको लेकर बयान दिया था. इस दौरान उन्होंने हिन्दू धर्म के कई ग्रंथों को लेकर अपने विचार रखे और कहा कि सालों साल से इसको लेकर वैचारिक संघर्ष चल रहा है. प्रोफेसर चंद्रशेखर ने कहा कि रामचरितमानस समाज में नफरत फैलाने वाला ग्रंथ है. यह समाज में पिछड़ों, महिलाओं और दलितों को शिक्षा हासिल करने से रोकता है और उन्हें बराबरी का हक देने से रोकता है. चंद्रशेखर ने कहा मनुस्मृति के बाद रामचरितमानस ने नफरत के इस दौर को आगे बढ़ाया है.
छोटी जाति के लोगों से भेदभाव नया नहीं है
अयोध्या के संत जगतगुरु परमहंस आचार्य द्वारा बिहार सरकार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर की जीभ काटकर लाने वाले को 10 करोड़ का इनाम देने की घोषणा करने पर चंद्रशेखर ने कहा कि फतवा जारी करने वाले लोगों ने मनुस्मृति में पहले ही लिख दिया है कि जो शूद्र वेद पढ़ ले उसकी जीभ काट लो. उन्होंने कहा कि वे पूरे रामचरितमानस का विरोध नहीं कर रहे हैं बल्कि उसके कुछ अंश का विरोध जता रहे हैं. उन्होंने कहा कि देश में छोटी जाति के लोगों से भेदभाव करने का मामला नया नहीं है, सालों साल से भेदभाव किया जाता रहा है. उन्होंने यहां तक कह दिया कि रामचरितमानस में जो आपत्तिजनक दोहे हैं अगर उनका वश चलेगा तो वे उसे हटा देंगे.
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