Patna- अमित शाह देश के गृह मंत्री हैं, वह सीमांचल जायें, या मिथिलांचल या फिर उत्तरांचल, उनकी मर्जी, लेकिन इन दौरों से बिहार की सियासी फीजा में कोई बदलाव नहीं आने वाला. वह किसी भी कोने में जायेंगे, लोग यह सवाल जरुर पूछेंगे कि 15-15 लाख रुपया जो हमारे खाते में आना था, उसका क्या हुआ, दो करोड़ नौकरियों किस किस को मिली. जातीय जनगणना की राह में अड़ंगा किसने लगाया और इसे रोकने के लिए पटना से दिल्ली तक की दौड़ किसी पार्टी के कार्यकर्ता लगा रहे थें.
हिन्दू मुसलमान का राग पुराना हो चुका, अब सजने लगी है मोहब्बत की दुकान
अमित शाह के दौरे पर यह टिप्पणी कांग्रेस के कद्दावर नेता डॉ. शकील अहमद की है. जब उनसे यह पूछा गया कि अमित शाह के दौरे से सीमांचल इलाके में हिन्दू मतों का धुर्वीकरण तेज हो सकता है और एआईएमआईएम की इंट्री से इंडिया गठबंधन का खेल बिगड़ सकता है, तो शकील अहमद ने कहा कि भाजपा की तो पूरी राजनीति ही हिन्दू मुसलमान की रही है, लेकिन एक ही राग सब दिन नहीं चलता, एक सीमा के बाद वह राग बेसूरा होने लगता है, आज यही स्थिति सामने आ गयी है, पिछले नौ वर्षों में इस खेल को देश की जनता ने बहुत देख लिया, अब बांटने का खेल चलने वाला नहीं है, उनका काम लोगों को बांटना है, हमारी फितरत लोगों को जोड़ने की है. यही हमारी पहचान है और यही हमारी राजनीति. वह जितना भी कोशिश कर लें, बिहार की जनता भाजपा के डिवाइड एंड रुल के झांसे में आने वाली नहीं है, वह अपना अधिकार मांगेगी.
भाजपा के चाल चलन और चरित्र को देश की जनता देख और समझ रही है, और इससे निजात पाना चाहती है, आज किसान मर रहे हैं, उनकी आय को दुगाना किये जाने का वादा किया गया था, लेकिन हालत उल्टी हो गयी, उनकी आय में तो और भी गिरावट आ गई, मणिपुर में डबल इंजन की सरकार में जो हुआ वह किसी से छुपा नहीं है.
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