रांची(RANCHI): झारखंड की राजनीति दिन प्रतिदिन काफी दिलचस्प होती जा रही है. साल 2024 में राज्य में विधानसभा और देश में लोकसभा के चुनाव होने हैं. ऐसे में आने वाले दो साल राज्य की राजनीतिक पार्टियों के लिए तैयारियों का साल होने वाला है. वहीं, दो साल से पहले ही अब झारखंड की राजनीतिक पार्टियों को अपनी ताकत दिखाने का मौका मिल गया है. दरअसल, रामगढ़ विधायक ममता देवी की विधायकी 13 दिसंबर को ही चली गई थी, जिसकी अधिसूचना सोमवार को विधानसभा से जारी कर दिया गया. ऐसे में अब आने वाले छह महीनों में उस सीट पर उपचुनाव होंगे. मिली जानकारी के अनुसार उपचुनाव काफी दिलचस्प होने की बातें सामने आ रही है.
भाजपा-आजसू गठबंधन पर होगी सबकी नजर
बता दें कि झारखंड विधानसभा चुनाव 2019 में रामगढ़ विधानसभा सीट पर कांग्रेस की ममती देवी ने जीत हासिल की थी. ऐसे में अब महागठबंधन को उपचुनाव में अपनी सीट बचाने का दबाव रहेगा. वहीं, भाजपा और आजसू 2024 से पहले सरकार में बैठी पार्टियों को बैकफूट में लाने की कोशिश करेगी. लेकिन इसमें सबसे जरूरी भूमिका हो जाती है भाजपा और आजसू गठबंधन की. दरअसल, साल 2019 में भाजपा और आजसू ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था, जिसका फायदा कांग्रेस और गठबंधन को मिली थी. लेकिन उपचुनाव में भाजपा और आजसू एक साथ चुनाव लड़ती है तो महागठबंधन को भी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. दरअसल, इस सीट पर आजसू का रिकार्ड काफी अच्छा रहा है.
कांग्रेस को दोबारा मिल सकता है सीट पर टिकट
मिली जानकारी के अनुसार महागठबंधन से एक बार फिर कांग्रेस को टिकट मिल सकता है. हालांकि, कांग्रेस किसे उम्मीदवार बनायेगी ये फिलहाल कहना मुश्किल होगा. लेकिन हो सकता है कि पार्टी ममता देवी के किसी करीबी को टिकट दें. ममता के करीबी को अगर पार्टी टिकट देती है तो सहानुभूती वोट भी कांग्रेस को मिल सकती है. ऐसे में पार्टी हर एंगल से सोच समझकर उम्मीदवार का चयन करेगी.
प्रचार के दौरान छायेगा केंद्रीय एंजेसी का मुद्दा
दरअसल, राज्य में केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई लगातार जारी है. इसके खिलाफ सीएम हेमंत सोरेन लगातार बयान देते रहे हैं. इसके अलावा सरकार की सहयोगी पार्टियां भी कार्रवाई के खिलाफ लगातार बयानबाजी करते रहते हैं. ऐसे में उपचुनाव के दौरान यह मुद्दा काफी जोर-शोर से देखने को मिलेगा. यह उपचुनाव भी सीएम हेमंत के लिए और विपक्षी पार्टियों के लिए काफी दिलचस्प होगा. अगर महागठबंधन की जीत होगी तो ऐसा माना जायेगा सरकार के खिलाफ लगातार केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई से आम जनता भी परेशान थी और उपचुनाव में जनता ने वोट के माध्यम से केंद्र को सबक सिकाने का काम किया है. वहीं, अगर आजसू-भाजपा जीत दर्ज करती है तो जनता राज्य सरकार से और उनकी नीतियों से खुश नहीं हैं.
आजसू का गढ़ माना जाता है रामगढ़ विधानसभा सीट
रामगढ़ विधानसभा सीट पारंपरिक तौर पर आजसू का गढ़ माना जाता है. ऐसे में अगर आजसू वहां से चुनाव लड़ती है और भाजपा बाहर से समर्थन करती है तो जेएमएम-कांग्रेस को यहां जीत दर्ज करना काफी मुश्किल हो सकता है. दरअसल, साल 2005, 2009 और 2014 में आजसू ने इस सीट पर जीत हासिल किया था. ऐसे में अगर भाजपा उपचुनाव में आजसू को समर्थन करती है तो महागठबंधन को जीत हासिल करना मुश्किल होगा.
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