पटना(PATNA)- बिहार की राजनीति में इन दिनों सीमांचल महत्वपूर्ण हो चला है, हर राजनीतिक दल की कोशिश इस अल्पसंख्यक बहुल इलाकों को अपने पाले में लाने की है. यही कारण है कि राजद और हो जदयू सब की निगाहें सीमांचल पर है, लेकिन सीमांचल की राजनीति में इन दोनों के अलावे एक नये राजनीतिक खिलाड़ी का भी प्रवेश हो चुका है. AIMIM सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी की सभाओं में उमड़ती भीड़ इस बात का सबूत है. इसी सीमांचल के पिछले चुनाव के दौरान असदुद्दीन ओवैसी को पांच विधायक मिले थें, तब ही मान लिया गया था कि अब बिहार की राजनीति में असदुद्दीन ओवैसी का जलवा चलने वाला है, लेकिन राजद ने असदुद्दीन ओवैसी के इस सपने को पलीता लगा दिया और उसने पांच में चार विधायकों को अपने पाले में कर लिया.
लेकिन इस पलटबाजी को पीछे छोड़ते हुए असदुद्दीन ओवैसी एक बार फिर से राजनीतिक मैदान में उतर चुके हैं, और एक एक कर नीतीश और तेजस्वी को निशाना बना रहे हैं, वह बड़े ही सधे अंदाज में अल्पसंख्यक मतदाताओं के दिल से भाजपा के डर को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं, उनका दावा है कि भाजपा हो हराने का ठिका हमने थोड़ी ही लिया है, हम तो अपने मुद्दे को बात करेंगे. अपनी भागीदारी की बात करेंगे.
नीतीश कुमार की विश्वसनीयता पर सवाल
नीतीश कुमार पर निशाने साधते हुए ओवैसी भीड़ से सवाल पूछते हैं कि यह कब भाजपा में वापस चले जायें, कितने को भरोसा है. इनका तो भाजपा में आना-जाना ही लगा रहता है. इसके साथ ही ओवैसी के निशाने पर तेजस्वी यादव भी होते हैं. ओबैसी का हमला बेहद सधा होता है, वह भीड़ से फिर सवाल पूछते हैं कि क्या सेक्युलरिज्म के झूठे सरमायादारों ने हमारे विधायकों को खरीद कर हमारी हैसियत को कम दिया.
ओवैसी जितना भी वोट काटेंगे, वह भाजपा को उतनी ही बढ़त मिलेगी
जानकार मानते हैं कि असदुद्दीन ओवैसी एक सोची समझी राजनीति के तहत ये हमले कर रहे हैं. क्योंकि हर किसी को इस बात की जानकारी है कि ओवैसी जितना भी वोट काटेंगे, वह भाजपा को उतना ही बढ़त दिलवायेगा, यही कारण कि असदुद्दीन ओवैसी की सभाओं में उमड़ी भीड़ से राजद -जदयू में बेचैनी है, लेकिन बिहार में भाजपा के मुर्छाये चेहरे को ताजी हवा का झोंका मिला है.
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