दुमका (DUMKA) : दुमका के डंगाल पाड़ा स्थित सारो लुखी गढ़ में सरी धर्म गुरु बाबा व लेखक (टैगोर साहित्य पुरस्कार से सम्मानित) सोमय किस्कू द्वारा लिखित पुस्तक “जोमसिम विनती” का विमोचन प्रवासी भारतीय डॉ धुनि सोरेन द्वारा किया गया. पुस्तक की बाबत सरी धर्म गुरु बाबा व लेखक ने बताया कि संताल आदिवासियों की प्रकृति-पूजक परंपरा है, जो वाचिक (मौखिक) रूप से पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है. संताल समुदाय अपने धर्म, रीति-रिवाज, परंपरा और आस्था को कहानियों, लोकगीतों, नृत्य और अनुष्ठानों के माध्यम से संरक्षित करते आये है.
वर्तमान समय में आदिवासी पढ़ लिख कर आगे आ रहे है. वे अपने धर्म, रीति-रिवाज, परंपरा और आस्था को अब कलमबद्ध करने लगे है, यह पुस्तक उसी का एक प्रयास है. संताल समुदाय का धार्मिक ग्रंथ इंग्लिश में लिखने के सवाल पर लेखक ने कहा कि संताल आदिवासियों का धर्म, रीति-रिवाज, परंपरा और आस्था है, उसे पुरे विश्व में प्रचार प्रसार की जरुरत है. सिर्फ संताल आदिवासी ही नही विश्व के सभी समुदाय जान पाए कि संताल आदिवासी का संस्कृति, पूजा, परम्परा कितना समृद्ध है. ज्ञात हो कि लेखक ने धर्म से संबंधित संताली और बंगला भाषा में भी कई धार्मिक पुस्तक लिख चुके है.
प्रवासी भारतीय डॉ धुनी सोरेन ने कहा पुस्तक का विमोचन कर धन्य हुआ. अब विश्व पटल पर हम सभी कह सकते है कि हमलोगों की भी धार्मिक पुस्तक है. लेखक का यह बहुत ही सराहनीय कदम है. इस मौके पर गोपाल हांसदा, गंगल किस्कू, सोनातन हांसदा, हेकिम मुर्मू, मोदन हेम्ब्रम आदि उपस्थित थे.
रिपोर्ट-पंचम झा
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