टीएनपी डेस्क(Tnp desk):-बिहार की राजनीति समय-समय पर किसी न किसी मसले को लेकर उबल पड़ती है और इस कदर गरमाती है कि इसकी तपिश से सियासत में हंगामा बरपते रहता है. सालो भर कुछ न कुछ सियासी विषयों पर बवाल, बवंडर और बहसबाजी शगल सी बन गई है. मुद्दों का आकाल तो सियासी पार्टियों को सालों भर यहां नहीं रहता है, ऐसा लगता है कि एक के बाद एक कतार की तरह लगी रहती है. आम आवाम भी समझ चुका है कि, ये सिलसिला थमने वाली नहीं है. गुजरते वक्त के साथ लोग मान चुके है कि सियासत की इस पिच मुद्दों की नई गेंद फेंका जाना एक दस्तुर है, जो रुकने वाला नहीं है. ये अपने आप समय साथ ही अपनी धार खोकर ओझल होगा.
बिहार को विशेष राज्य के दर्जे की मांग
बिहार में जातिय गणना के शोर बाद एकबार फिर एक नया मुद्दा विशेष राज्य के दर्जे की मांग उठा दी गई है, सत्तासीन जेडीयू और आऱजेडी इसे लेकर ढिढोंरा पीट रही है. लाजामी है कि चुनावी बेला में कोई भी मुद्दे अचानक जन्म नहीं लेता है. इसका कोई न कोई मकसद होता है. नीतीश कुमार ने बड़े जोर-शोर के साथ केन्द्र से इसकी मांग की है. 2017 में भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसे उठाया था . लेकिन, बीजेपी के साथ शासन के दौरान यह ठंडे बस्ते में ऐसा चला गया कि लगा की अब इसकी सुगबुगाहट भी शायद ही हो. हालांकि, वक्त का पहिया जैसे घूमा नीतीश बीजेपी से जैसी ही बिछड़े और राजदे के साथ हुए, तो सुशासन बाबू ने फिर इसकी मांग का शिगूफा छोडकर आगामी लोकसभा चुनाव वोट मानों वोट बटोरने का एक नया मसला मिल गया हो.
भाजपा नेता सुशील मोदी ने नीतीश पर कसा तंज
बिहार के विशेष दर्जे की मांग पर भाजपा से राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने सुशासन कुमार पर करारा तंज कसा. उनकी नजर में चुनाव आने वाला है तो नीतीश कुमार कटोरा लेकर निकल गए हैं. सुशील ने कहा कि उनकी यह मांग आम लोगों को भरमाने का सिवा कुछ भी नहीं, क्योंकि वित्त आय़ोग विशेष राज्य की मांग को ही खत्म कर चुका है. अब किसी भी राज्य को स्पेशल स्टेटस नहीं मिल सकता.
बीजेपी की बदौलत सीएम बने थे नीतीश
भाजपा नेता सुशील मोदी ने पुराने दिनों की याद साझा करते हुए कहा कि 18 साल पहले जंगल राज से मुक्ति मिली थी. भाजपा अगर साथ नहीं देती, तो नीतीश कुमार मुख्यमंत्री नहीं बन पाते . इन्होंने ही नरेन्द्र मोदी का विरोध किया था तो लोकसभा चुनाव में दो सीट पर सिमट गये थे. सुशील मोदी ने ये भी सवाल उठाया कि बिहार में 75 साल से कांग्रेस, आऱजेडी और जेडीयू की सरकार है. इसके बावजूद लोग गरीब है, तो जिम्मेदार कौन है. उन्होंने जातीय सर्वेक्षण पर कहा कि इसके आकंड़े सही नहीं है, कुछ जातियों की संख्या बढ़ा दी गई है.
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