बिहार(BIHAR): भाजपा, महागठबंधन, वीआईपी, एआईएमआईएम के अलावा भी लोगों ने एक बटन दबाया है, और वो है NOTA. जी हाँ बिहार के कुढ़नी उपचुनाव में स्थिति बदलने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है NOTA. अगर चुनावी विशेषज्ञों की माने तो जनता का जो वोट डिवीजन है उसमे कहीं न कहीं सेंधमारी कर रही है NOTA.
नोटा अर्थात वो विकल्प जिसमें आप किसी भी पार्टी को वोट नहीं देना चाहते क्योंकि कोई भी पार्टी आपके मानदंडों पर सही नहीं उतरती. बता दें अबतक 2908 वोट नोटा के खाते में गए हैं, तो वहीं 2295 वोट ओवैसी के पाले में गए, बात करें वीआईपी (नीलाभ कुमार) की तो अबतक 5529 वोट उनके खाते में गए हैं, बीजेपी के केदार गुप्ता अब तक 50611 वोट पा चुके हैं तो वहीं जदयू के मनोज कुशवाहा सबसे अधिक 52302 वोटों से अपनी जीत की ओर बढ़ रहे हैं.
बीजेपी अक्सर कहती है कि नोटा से उसके वोटों को नुकसान हुआ है तो वहीं कॉंग्रेस का मानना है कि असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी में मुस्लिम वोट कटने से गठबंधन को नुकसान हो रहा. ऐसे में यदि इस उपचुनाव पर भी नजर डालें तो पाएंगे कि जनता अपना एक मिश्रित फैसला दे रही. इस रुझान में भले ही जदयू आगे है परंतु कुछ वोट खिसक कर नोटा और ओवैसी (एआईएमआईएम) के पाले में भी जा रहे.
4+