पटना(PATNA): पिछले कुछ महीनों से बिहार की राजनीति में बवाल मचाते रहे, जदयू में अपनी हिस्सेदारी की मांग करते रहे उपेन्द्र कुशवाहा की ओर से आयोजित चिंतन शिविर की शुरुआत हो चुकी है, सिन्हा लाइब्रेरी में आयोजित दो दिनों की इस चिंतन शिविर में कथित रुप से जदयू को मजबूत करने की रणनीति तैयार की जायेगी. कार्यकर्ताओं से लिखित और मौखिक सुझाव की मांग की गयी है.
लेकिन बड़ी बात यह है कि इस चिंतन शिविर में सीएम नीतीश कुमार की तस्वीर भी देखी जा रही है. वहीं नीतीश कुमार जिनकी कार्यशैली, रणनीति और पार्टी को लेकर भावी कार्ययोजना से उपेन्द्र कुशवाहा को गहरी आपत्ति है.
नीतीश की तस्वीर को सामने रख राजनीतिक संदेश देने की कोशिश
क्या नीतीश कुमार की तस्वीर को सामने रख वह अपने कार्यकर्ताओं को कोई राजनीतिक संदेश देने की कोशिश रहे हैं, कहीं उनकी कोशिश अपने कार्यकर्ताओं और समर्थकों को यह आश्वस्त करने की तो नहीं है कि जदयू भले ही कुछ भी दावा करे, लेकिन उनका दिल अभी भी जदयू में रचा-बसा है और यह कि जदयू को बचाने की कोशिश को नीतीश कुमार के खिलाफ साजिश के रुप में नहीं देखी जानी चाहिए.
बिहार की राजनीति पर पकड़ रखने वाले जानकारों का कहना है कि अभी वर्तमान हालात में उपेन्द्र कुशवाहा एकबारगी जदयू को नहीं तोड़ सकते, उनकी कोशिश अभी जदयू के अन्दर रहकर ही नीतीश कुमार के सामने चुनौतियां पेश करनी की होगी.
आरसीपी बनने का डर
खास कर तब जबकि अब तक आरपीसी सिंह को भाजपा ने अपने संगठन में एडजस्ट नहीं किया है, उपेन्द्र कुशवाहा को इस बात का डर बना हुआ है कि यदि वह आरपीसी सिंह की राह पर चले तो उनका भी वही हश्र होगा. यही कारण है कि वह अभी जदयू के अन्दर रहकर ही अपनी आवाज को उठाते रहेंगे, लेकिन इसके साथ ही राजनीतिक रुप से अवसर की तलाश करते रहेंगे. वैसे भी भाजपा के पास उस जमात के नेताओं की कमी नहीं, जिसका वोटों की राजनीति उपेन्द्र कुशवाहा करते रहे हैं.
रिपोर्ट: देवेन्द्र कुमार
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