टीएनपी डेस्क: शारदीय नवरात्रि का आज आठवां दिन है. नवरात्रि का आठवां दिन देवी दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी को समर्पित है. कहा जाता है कि, मां महागौरी की पूजा-अर्चना करने से मन को शांति मिलती है, सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जीवन में संयम बना रहता है और हृदय करुणामयी हो जाता है. आज के दिन महागौरी की कथा का पाठ करना चाहिए. इससे हर बाधा दूर होती है.
महागौरी का स्वरूप
माता महागौरी का रंग शंख, कंद फूल और चंद्र के सामान श्वेत है. माता के चार भुजाओं में क्रमशः दाहिने तरफ ऊपर वाले हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले में त्रिशूल है. वहीं, बाहिने तरफ ऊपर वाले हाथ में डमरू और नीचे वाले में वर मुद्रा है. माता का स्वभाव एक शांत और कोमल है. उनके माथे पर दिव्य तेज विराजमान है. देवी श्वेत वस्त्र और आभूषण में वृषभ यानी बैल पर सवार हो कर दर्शन देती हैं.
कथा
भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए माता पार्वती कठिन तप कर रही थी. जंगल में दिन-रात तपस्या में लिन देवी बस बिल्व पत्र और फूल का सेवन करती थीं. धूप-वर्षा, ग्रीष्म और सर्द मौसम में भी देवी लगातार तप में लिन रहती थीं. वहीं, जब इतनी तपस्या के बाद भी भगवान शिव प्रकट नहीं हुए तो देवी ने फूल और बिल्व पत्र (बेल पत्र) को भी त्याग दिया. ऐसे में देवी कमजोर हो गईं और उनका रंग काला पड़ गया. ऐसे में देवी की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने देवी को अपने दर्शन दिए और उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करने का वरदान दिया. इसके बाद भगवान शिव ने देवी के काले पड़े शरीर पर गंगाजल का छिड़काव किया. जिससे देवी का शरीर पुनः गोरा हो गया. देवी के श्वेत गौर रंग के कारण ही देवी का नाम महागौरी पड़ा.
देवी को करें ऐसे प्रसन्न
माता महागौरी को नारियल और नारियल से बने लड्डू या मिठाई का भोग लगाना चाहिए. साधक माता को नारियल की खीर का भी भोग लगा सकते हैं. पुष्प में माता को लाल गुड़हल बहुत प्रिय है. आज के दिन श्वेत वस्त्रों में पूजा करने से माता प्रसन्न होती है.
इस मंत्र का करें जाप
श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः। महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।
या देवी सर्वभूतेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
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