पटना(PATNA): पूर्णिया की रंगभूमि से 2024 में भाजपा के चुनावी रथ को रोकने की हुंकार के साथ ही महागठबंधन के अन्दर चार और महारैलियों के आयोजन पर विचार जारी है. हालांकि इसकी तिथि और स्थान के बारे में अभी कोई निर्णय नहीं हुआ है, लेकिन संभावित रुप से इसके लिए बिहार के चार कोनों का चयन किया जाएगा. यानी महागठबंधन की कोशिश बिहार हर कोने में अपना संदेश पहुंचाने की होगी.
रंगभूमि की रैली से महागठबंधन के घटक दलों के कार्यकर्ताओं में एकजुटता का संचार
महागठबंधन नेताओं का मानना है कि रंगभूमि से जिस प्रकार सातों घटकों ने अपनी एकजुटता का परिजय दिया, उसका बिहार के मतदाताओं पर सकारात्मक असर पड़ा है, मतदाताओं की सोच बनी है कि यदि इसी प्रकार एकजुट तरीके से महागठबंधन चुनावी मैदान में उतरा और अपनी एकजुटता का परिचय दिया तो उनके लिए 2024 के महासमर में भाजपा को चारों खाने चित करना बेहद आसान होने वाला है.
वहीं महागठबंधन के नेताओं का मानना है कि महारैलियों के आयोजन से एक घटक दल का कोर वोटर को दूसरे घटक के कोर वोटर से जुड़ता है, उनके अन्दर की दुविधा दूर होती है, उनमें राजनीतिक उत्साह का संचार पैदा होता है. यही कारण है कि बिहार के चार कोनों में इसका आयोजन करने का विचार किया जा रहा है. दावा किया जा रहा है कि जल्द ही महागठबंधन के नेता आपस में बैठ कर इसकी तिथि और स्थान का निर्णय लेंगे.
सीएम नीतीश के साथ एकजुटता दिखलाने की कोशिश
वहीं जानकारों का मानना है कि रंगभूमि की रैली के बाद ही सीएम नीतीश कुमार दिल्ली कूच कर गये हैं, वहां सोनीया गांधी और राहुल गांधी से उनकी बैठक होने वाली है, जिसके बाद देश की राजनीति में उनकी भूमिका पर विचार होगा.
महागठबंधन के नेता दबी जुबान से इस बात की भी चर्चा कर रहे हैं कि बहुत संभव है कि सीएम नीतीश कुमार को कांग्रेस के साथ मिलकर राष्ट्रीय स्तर पर प्रचार-प्रसार की जिम्मेवारी सौंपी जाय. उस हालत में ये रैलियां उनके लिए फोर्स का काम करेगी, हम पूरी उर्जा के साथ नीतीश कुमार के साथ खड़े होगें. बिहार उनके साथ खड़ा नजर आयेगा.
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