शिक्षा मंत्री चन्द्रशेखर के बाद अब भूमि सुधार मंत्री आलोक मेहता के बिगड़े बोल, क्या पिछड़ा- दलित कार्ड खेलकर Operation Nitish की तैयारी में जुट गयी राजद
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पटना(PATNA): शिक्षा मंत्री चन्द्रशेखर के बयानों से बिहार अभी बाहर भी नहीं निकला था कि अब भूमि सुधार मंत्री आलोक मेहता ने यह कह कर सनसनी मचा दी है कि आज जो 10 फीसदी सवर्णों के पास राज्य की सबसे ज्यादा भूमि है, उसका कारण यह है कि इनके पूर्वज मंदिरों में घंटा बजाया करते थें, अंग्रेजों की दलाली किया करते थें, जिसके बदले में अंग्रेजी शासन के द्वारा इनके नाम भूमि की बंदोबस्ती की गयी थी. जबकि हमारे पूर्वज अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे थें.
बाबू जगदेव प्रसाद के जन्मदिवस पर आयोजित किया गया था कार्यक्रम
दरअसल, भूमि सुधार मंत्री आलोक मेहता भागलपुर के गोराडीह प्रखंड में सालपुर पंचायत के काशील हटिया मैदान में बाबू जगदेव प्रसाद के जन्मदिन पर आयोजित एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान बाबू जगदेव प्रसाद के संघर्षों को याद करते हुए, उन्होंने कहा कि जिन्हें आज 10% में गिना जाता है, वह पहले मंदिर में घंटा बजाते थे और अंग्रेजों की दलाली लगे रहते थें. यह जो 10 फीसदी लोग हैं, इनकी खिलाफत जो भी करता है, उसकी जुबान बंद कर दी जाती थी. आज इन्ही 10 फीसदी लोगों के द्वारा आरक्षण को खत्म करने की साजिश रची जा रही है. हमें बाबू जगदेव प्रसाद के रास्ते चलकर इस स्थिति से बाहर निकलना है, उनके रास्ते पर चल अपने अधिकारों का पाना है, सत्ता और समाज में अपनी हिस्सेदारी पानी है.
राजद को यादवों की पार्टी कहने वाले हमारी औकात भी जान लें
आलोक मेहता ने कहा कि राजद को यादवों की पार्टी कहने वाले यह भी जान लें कि इसी राजद में उनकी क्या हैसियत है, यहां हम बुलंदी से अपनी बात रखते हैं, सारे फैसलों में हमारी भागीदारी होती है.
वंचित और पिछड़े तबके लिए जगदेव प्रसाद ने अपने को कुर्बान किया
मंत्री आलोक मेहता ने बाबू जगदेव प्रसाद को याद करते हुए कहा कि जगदेव प्रसाद ने 90 फीसदी आबादी की लड़ाई लड़ी, दलित पिछड़ों के लिए अपने आप को कुर्बान कर दिया. लेकिन समाज ने इस 90 फीसदी आबादी को कभी सम्मान नहीं दिया. जबकि 10 फीसदी आबादी वालों को सैंकड़ों-सैकड़ों एकड़ जमीन देकर जमींदार बनाया गया और जिसने इसका विरोध किया, उसकी जुबान सील दी गयी. बाबू जगदेव प्रसाद की शहादत इसका सबूत है. उनकी गलती मात्र इतनी थी वह हम मजलूमों की लड़ाई लड़ रहे थें, दलित पिछड़ों के अधिकारों को उठा रहे थें. जिसकी परिणति उनकी शहादत के रुप में हुई.
लेकिन जिस प्रकार से हालिया दिनों में राजद नेताओं के द्वारा बयान दिये जा रहे हैं, वह कोई सोची समझी रणनीति का हिस्सा तो नहीं है, कहीं राजद की कोशिश पिछड़े, दलित और दूसरे वंचित तबकों को एक साथ खड़ा कर नीतीश कुमार को सलटाने की तो नहीं है?
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