Patna आईआरसीटीसी टेंडर घोटाले में ईडी ने लालू परिवार की छह करोड़ तीस लाख की परिसंपत्तियों को अटैच कर लिया है. 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले यह ईडी की बड़ी कार्रवाई मानी जा रही है. दावा किया जाता है कि रेलवे मंत्री रहते हुए वर्ष 2004 से 2009 के बीच लालू यादव ने एक निजी कंपनी को अवैध तरीके से भुवनेश्वर और रांची में दो होटलों को चलाने का टेंडर दिया था. जिसके बदले में उन्हें सगुना मोड़ के पास तीन एकड़ की जमीन दी गयी थी. बाद में इस जमीन को तेजस्वी यादव की कंपनी लारा प्रोजेक्ट कंपनी प्राइवेट लिमिटेड को बिक्री कर दी गयी थी.
यहां ध्यान रहे कि जब केन्द्र सरकार के द्वारा ईडी निदेशक संजय कुमार मिश्रा के कार्यकाल को बार-बार एक्सटेंशन देकर बढ़ाया जा रहा था, तब भी इस बात की आशंका प्रकट की जा रही थी कि केन्द्र सरकार 2024 के पहले संजय कुमार मिश्रा को आगे कर विरोधी दलों पर चाबुक चलान की तैयारी में है. आखिर वह सुप्रीम कोर्ट के दखल के बावजूद संजय कुमार मिश्रा को ही ईडी का निदेशक बनाये रखना क्यों चाहती है, खुद सुप्रीम कोर्ट ने भी केन्द्र सरकार से यही सवाल पूछा था.
याद रहे कि पिछले कुछ दिनों से लालू प्रसाद पीएम नरेन्द्र मोदी के विरोध में काफी मुखर रहे हैं. विपक्षी दलों की पटना बैठक के दौरान उन्होंने कहा था कि मैं अब फिट हो चुका हूं, अब आगे पीएम मोदी को फिट करने की तैयारी है. उसके बाद से ही उनके सेहत में सुधार के आधार पर फिर से जेल जाने की मांग की जाने लगी थी. लेकिन बावजूद लालू यादव के द्वारा पीएम मोदी पर हमले में कोई कमी नहीँ आयी. और बेहद मजबूती के साथ भाजपा की नीतियों के खिलाफ खड़े होते नजर आ रहे हैं.
इसी बीच ईडी के द्वारा उनकी संपत्तियों को अटैच करने का फैसला आया है, स्वाभाविक है कि इस फैसले को राजनीतिक चश्में से देखने की कोशिश की जायेगी. विपक्ष की ओर इसे बदले की राजनीति भी करार दिया जायेगा. इस मामले में अंतिम फैसला कोर्ट में होना है. उसके बाद ही मामले की सच्चाई सामने आयेगी. हालांकि ईडी के इस फैसले पर अभी तक राजद की ओर से कोई जवाब नहीं आया है.
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