RANCHI: दिशोम गुरु शिबू सोरेन क़े भाई और पूर्व CM हेमंत सोरेन क़े चाचा अब इस दुनिया में नहीं रहे. शनिवार तड़के उनका निधन हो गया. वो लंबे समय से बीमार थे. मौत की खबर सुनते ही पूरे परिवार में शोक का माहौल है. इस बीच कल्पना सोरेन अपने चुनावी दौरे को स्थगित करते हुए अपने पैतृक गांव निमरा पहुँची और अपने चाचा ससुर के अंतिम संस्कार में शामिल हुई.
हेमंत की गैरमौजूदगी में पत्नी कल्पना परिवार के साथ
गौरतलब है कि हेमंत सोरेन जेल में है और उन्हें चाचा के अंतिम दर्शन के लिए कोर्ट से अर्जी लगाया था लेकिन बेल मिलना संभव नहीं हो पाया. इस वजह से भी पति हेमंत के गैरमौजूदगी में पत्नी कल्पना सोरेन अपने गांव पहुँची और इस शोक की घड़ी में परिवार के साथ पूरे वक्त मौजूद रही.
कोर्ट ने हेमंत की बेल याचिका ख़ारिज की
दरअसल पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जमीन घोटाले मामले में 31 जनवरी से ही जेल में हैं. चाचा की मृत्यु की खबर मिलते ही वो अपने चाचा का अंतिम दर्शन करना चाहते थे इसके लिए उन्होंने PMLA कोर्ट में बेल याचिका दायर किया था जिसे कोर्ट ने ख़ारिज करते हुए कहा की स्वर्गीय राजा राम सोरेन के बेटे है. हेमंत सोरेन की जगह भाई बसंत सोरेन भी हैं. इसीलिए इनके बेल याचिका को खारिज किया जाता है.
चुनावी दौरा रद्द अंतिम संस्कार में पहुंची कल्पना
वहीं हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन की बात करे तो हेमंत सोरेन की राजनीतिक विरासत संभालने क़े साथ उनके परिवार को भी संभालती नजर आ रही हैं , जब उन्हें पता चला कि पति हेमंत सोरेन को बेल नहीं मिल पाया उसके बाद वो अपनी चुनावी दौरा रद्द कर अपने चाचा ससुर क़े घर पहुंच कर उन्हें अंतिम विदाई दी. साथ ही दिवंगत के परिवार के साथ अंतिम संस्कार हो जाने तक रही. कल्पना सोरेन जिस तरह से राजनीति से लेकर घर तक सक्रिय है. झारखंड मुक्ति मोर्चा और उनके समर्थक उनकी दिल से प्रसंशा कर रहे है. लोगों का मानना है कि जिस कल्पना सोरेन और उनकी क्षमता को लेकर लोग आलोचना कर रहे थे, उनके राजनीतिक सफर पर शंका कर रहे थे, बहुत कम दिनों में उन्होंने अपनी समझ , परिपक्वता और नेतृत्व क्षमता से सिद्ध कर दिया है कि हेमंत सोरेन ने जिस सोच के साथ उन्हें आगे किया था उस पर वो उम्मीद से ज्यादा खड़ी उतर रही है. झामुमो ने उन्हें गंडाये विधानसभा से उन्हें अपना प्रत्याशी बनाया है बिना थके हारे जिस तरह से वो चुनावी अभियान में लगी है. परिणाम चौकाने वाला होगा और झारखंड की राजनीति में उनके कद और सफर का अंदाजा लगाया जा सकता है.
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