रांची(RANCHI): झारखंड कांग्रेस ने पिछले दिनों पहले ही सभी जिलों के लिए अध्यक्षों का चयन किया है. चयन के तुरंत बाद ही कई सवाल खड़े हुए. कार्यकर्ताओं की ओर से कहा गया कि इस लिस्ट में किसी महिला, मुस्लिम और दलित चेहरे को जगह नहीं दी है. लिस्ट जारी होने के बाद प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर का पुतला जलाया गया और दो दिन बाद चार जिलों (रामगढ़, साहिबगंज, गढ़वा, कोडरमा) में फिर से नए अध्यक्ष की नियुक्ति की गई. नई नियुक्ति में दो मुस्लिम और दो दलित चेहरे को जगह दी गई.
प्रदेश अध्यक्ष में होगा बदलाव
जिला अध्यक्ष की नई सूची जारी होने के बाद से ही राजेश ठाकुर का विरोध शुरू हो गया था. इस विरोध की आग आलाकमान तक पहुंच चुकी है. इसलिए पार्टी जातीय समीकरण को देखते हुए बड़ा बदलाव कर सकती है. दरअसल, झारखंड के पड़ोसी राज्य बिहार में कांग्रेस ने बदलाव कर भी दिया है. वहां की जातीय समीकरण को देखते हुए अखिलेश प्रसाद सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है.
आदिवासी कार्ड खेल सकती है पार्टी
बता दें कि राज्य की कुल आबादी का लगभग 30 प्रतिशत जमसंख्या आदिवासियों की है. ऐसे में आदिवासी कई विधानसभा और लोकसभा सीटों पर विधायक और सांसद बनाने का दम रखते हैं. ऐसे में कांग्रेस आलाकमान किसी आदिवासी चेहरे को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंप सकती हैं. वहीं, राज्य में कांग्रेस की ओर से बड़े आदिवासी चेहरे की बात करें तो बंधु तिर्की और गीता कोड़ा प्रबल दावेदार हो सकते हैं. लेकिन अगर पार्टी आदिवासी चेहरे को जिम्मेदारी नहीं सौंपती है तो सुबोधकांत सहाय और डॉ. अजय कुमार जैसे नेता भी रेस में आ सकते हैं.
राजेश ठाकुर को कब मिली थी जिम्मेदारी
बता दें कि राजेश ठाकुर को झारखंड प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी 25 अगस्त 2021 को मिली थी. राजेश ठाकुर से पहले प्रदेश कांग्रेस की जिम्मेदारी डा. रामेश्वर उरांव के पास थी. बता दें कि उरांव जब प्रदेश अध्यक्ष थे तब राजेश ठाकुर उनके ही टीम में कार्यकारी अध्यक्ष थे. वहीं, 25 अगस्त को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने पत्र जारी कर बताया था कि केंद्रीय अध्यक्ष की सहमति से राजेश ठाकुर को यह जिम्मेदारी दी गई है.
राजेश ठाकुर का राजनीतिक जीवन
राजेश ठाकुर ने अपनी राजनीतिक करियर की शुरुआत कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआइ(NSUI) से शुरू की थी. इसके अलावा वें दिल्ली में एनएसयूआइ के प्रमुख पदों पर रहे. वहीं, वह झारखंड के पूर्व राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी के विशेष कार्य पदाधिकारी भी रह चुके हैं. इसके अलावा जब रामेश्वर उरांव प्रदेश अध्यक्ष थें तब राजेश ठाकुर कार्यकारी अध्यक्ष थे. उसके बाद उन्हें प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई.
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