टीएनपी डेस्क: विकास एक सतत प्रक्रिया है. इसके लिए सही रणनीति के साथ-साथ धैर्य की भी नितांत जरूरत है. धैर्य एक ऐसा फैक्टर और फाइटर है जो आपको संघर्ष के मैदान में जीत दिलाता है. देश दुनिया में जितने भी सफल लोग दिख रहे हैं उन्होंने कोई रातों-रात यह मुकाम नहीं हासिल की है. इसके लिए धैर्य की बेहद जरूरत होती है.
चलिए यह सब हम क्यों कह रहे हैं,आपको बताते हैं. देश की दूसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी इंफोसिस के बारे में आज कौन नहीं जानता. उनके संस्थापक के विषय में कौन नहीं जानता है. इस कंपनी के बने हुए 40 साल हो गए हैं. नारायण मूर्ति और उनकी पत्नी सुधा मूर्ति आज इसलिए जानी पहचानी हस्ती हैं क्योंकि उन्होंने एक ऐसी कोशिश की जो मिसाल है.
10000 रुपए मात्र लेकर जो उन्होंने काम शुरू किया वह आज अरबों का है. नारायण मूर्ति अपनी पत्नी सुधा मूर्ति से 10000 रुपए बतौर कर्ज लेकर कंपनी की शुरुआत की थी इंफोसिस कंपनी कि वह पहली निवेशक हैं. सुधा मूर्ति ने स्टार्टअप शुरू करने वाले युवाओं को यह संदेश दिया है कि कभी भी सफलता रातों-रात नहीं मिलती. इसके लिए मेहनत के अलावे धैर्य की भी जरूरत है. आज की तारीख में इंफोसिस 17 अरब 53 करोड़ रुपए की कंपनी है. उन्होंने युवाओं को कहा कि उन्हें धैर्य के साथ काम करने की जरूरत है. पूंजी और परिश्रम का अपना महत्व है लेकिन धैर्य सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण कॉम्पोनेंट है. इंफोसिस कंपनी भी 78 साल के बाद फलने फूलने लगी थी. सुधा मूर्ति ने युवाओं से यह भी कहा कि अगर आप पैसे के पीछे भागते हैं तो पैसा आपसे दूर भागता है और अगर आप कड़ी मेहनत करते हैं तो सफलता आपके पीछे आएगी. इस मंत्र को गांठ बांध कर रखना चाहिए.
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