रांची(RANCHI)- संताल अवैध खनन मामले में एक बड़ा मोड़ तब आया जब विजय हांसदा की ओर से पेश की गयी दलीलों को खारिज करते हुए जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की अदालत से सीबीआई को एक महीने के अन्दर प्रारंभिक जांच कर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दे दिया.
विजय हांसदा ने ही की थी अवैध खनन की शिकायत
यहां यह बता दें कि नीबूं पहाड़ पर अवैध खनन की शिकायत इसी विजय हांसदा की ओर दायर की गयी थी. पहाड़ पर विस्फोट के कारण निकटर्ती घरों में दरार आ रहा था, उसकी बुनियाद हिल रही थी. विजय हांसदा और दूसरे ग्रामीण इससे काफी परेशान थें, ग्रामीणों को इस अवैध खनन से अपना छत बिखरता नजर आ रहा था, आखिरकार विजय हांसदा के नेतृत्व में ग्रामीणों में इस अवैध खनन पर रोक लगाने का फैसला किया, और दो मई को सभी ग्रामीण विस्फोट वाले स्थल पर पहुंचे, वहां मौजूद लोगों से इसपर रोक लगाने को कहा गया, बस्ती वालों की परेशानी बतायी गयी, लेकिन दावा किया जाता है कि ग्रामीणों का दर्द सुनने के बजाय मौके पर मौजूद अवैध खनन कर्ताओं के द्वारा ग्रामीणों को वहां तुरंत से भागने का हुक्म सुनाया गया, साथ ही जाति सूचक शब्दों का प्रयोग किया गया.
पंकज मिश्रा के राजनीतिक रसूख के कारण प्रशासन ने किया था प्राथमिकी से इंकार
जिसके बाद विजय हांसदा की ओर से इस मामले की शिकायत दर्ज करवाने की कोशिश की गयी, लेकिन दावा किया जाता है कि पंकज मिश्रा के राजनीतिक रसूख के कारण स्थानीय प्रशासन ने प्राथमिकी दर्ज करने से इंकार कर दिया और जिसके बाद 30 जून 2022 को शिकायतवाद दर्ज किया गया. जिसमें पंकज मिश्रा, विष्णु यादव, पवित्र यादव, संजय यादव और सुभाष मंडल को मुख्य अभियुक्त बनाया गया. लेकिन कहानी यही खत्म नहीं होती, दावा किया जाता है कि इस शिकायतवाद के बाद विजय हांसदा प्रशासन की नजर में आ गया और बोरिया थाने में उसके खिलाफ एक मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया गया. उस पर अवैध रुप से हथियार रखने के आरोप लगाये गये.
अब वही विजय हांसदा कोर्ट से अपनी शिकायत को वापस लेने की बात कह रहा है
अब वही विजय हांसदा हाईकोर्ट से इस मामले को खत्म करने की गुहार लगा रहा था, उसका दावा था कि अवैध खनन की उक्त शिकायतवाद उसके द्वारा दर्ज ही नहीं की गयी है, किसी ने उसके जेल में रहते हुए उसके नाम पर यह शिकायतवाद दर्ज करवा दिया है, इसलिए उसे इस शिकायतवाद को वापस लेनी की अनुमति प्रदान की जाय. लेकिन कोर्ट को इस विजय हांसदा के इस तर्क में दम नजर नहीं आया, और सीबीआई को एक माह के अन्दर अवैध खनन मामले की प्रारम्भिक जांच सौंपने का आदेश दे दिया गया.
संताल का किंग पंकज मिश्रा
यहां रहे कि इस मामले का एक मुख्य आरोपी पंकज मिश्रा को संथाल का किंग माना जाता है, दावा किया जाता है कि उस इलाके में एक पत्ता भी पंकज मिश्रा की मर्जी के बगैर नहीं हिलता. उसकी ताकत का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि वह राज्य के मुखिया सीएम हेमंत का विधायक प्रतिनिधि रहा है और इस समय वह अवैध खनन के मामले में ही बिरसा मुंडा केन्द्रीय कारा में बंद है, इस हालत में
जबकि हाईकोर्ट ने सीबीआई को एक महीने के अन्दर-अन्दर मामले की प्रारम्भिक जांच कर रिपोर्ट सौंपने का आदेश दे दिया है, हालांकि यह इस बात पर निर्भर करेगा कि सीबीआई को वहां क्या नजर आता है. और वह क्या देखने की कोशिश करता है, लेकिन इतना साफ है कि इस मामले पर अब कोर्ट की नजर भी है, यदि सीबीआई को वहां वास्तव में अवैध खनन के सबूत मिलते है, नीबूं पहाड़ पर चट्टानों को विस्फोटकों से उड़ाने के साक्ष्य नजर आते हैं, तो पंकज मिश्रा, विष्णु यादव, पवित्र यादव, संजय यादव और सुभाष मंडल की मुश्किलें बढ़ सकती है, लेकिन इसके साथ ही इसका असर सीएम हेमंत पर भी पड़ सकता है. क्योंकि यह इलाका खुद सीएम हेमंत के विधान सभा क्षेत्र का है, और पंकज मिश्रा से उनकी नजदीकियां भी जगजाहिर है,
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