दुमका(DUMKA): जिले में शुक्रवार की शाम केंद्रीय कारा के मेन गेट पर गोलीबारी की घटना हुई. दरअसल, बाइक सवार तीन अपराधियों ने जेल की सुरक्षा में तैनात संतरी को लक्ष्य कर तीन राउंड फायरिंग की. किस्मत ने संतरी का साथ दिया और वो बाल-बाल बच गए. इस घटना ने जेल की सुरक्षा पर एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है. हम आपको इस स्टोरी में बतायेंगे जेल गेट पर हुई गोलीबारी घटना की इनसाइड स्टोरी.
अपराधियों की धड़पकड़ के लिए पुलिसिया कार्रवाई तेज
दरअसल, जेल कोई भी हो जिले का सबसे सुरक्षित स्थल के रूप में जाना जाता है और जब बात केंद्रीय कारा की हो तो सुरक्षा के मद्देनजर दुमका केंद्रीय कारा सबसे सुरक्षित माना जाता है. अपराधी दुमका केंद्रीय कारा को कालापानी मानते हैं. सामान्य अपराधी से लेकर कुख्यात गैंगस्टर और दुर्दांत नक्सलियों तक की सुरक्षित शरण स्थली जेल रही है. ऐसी स्थिति में अपराधियों ने दुमका केंद्रीय कारा गेट पर गोलीबारी कर प्रशासन के समक्ष एक कड़ी चुनौती पेश की है. अपराधियों की धड़पकड़ के लिए पुलिसिया कार्रवाई तेज कर दी गई है लेकिन अभी तक पुलिस के हाथ खाली है. उम्मीद की जानी चाहिए कि आज नहीं तो कल जेल गेट पर गोली चलाने वाले तीनों अपराधी सलाखों के पीछे होंगे. लेकिन इस घटना के पीछे की कहानी कुछ और ही बयां कर रही है. हम आपको वो कहानी बताते हैं.
जेल में रहकर भी अखिलेश सिंह और अमन सिंह का नाता अपराध से
दरअसल, दुमका केंद्रीय कारा में ना केवल दुमका और संथाल परगना प्रमंडल के अपराधी बल्कि राज्य के कोने-कोने से कुख्यात गैंगस्टर और दुर्दांत नक्सली बंद है. वर्तमान समय में गैंगस्टर अखिलेश सिंह और अमन सिंह भी दुमका केंद्रीय कारा में बंद है. अखिलेश सिंह ने लौह नगरी जमशेदपुर में तांडव मचाया तो अमन सिंह ने कोयला नगरी धनबाद में. अखिलेश सिंह साकची जेल के जेलर उमा शंकर पांडे की हत्या के बाद सुर्खियों में आया तो अमन सिंह धनबाद के पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह की हत्या के बाद. अखिलेश सिंह मूल रूप से बिहार का रहना वाला है तो अमन सिंह उत्तर प्रदेश का. अपराध जगत में कदम रखने के बाद दोनों ने बेशुमार दौलत कमाई, लेकिन कहते हैं ना की कानून के हाथ बड़े लंबे होते हैं और आखिरकार दोनों सलाखों के पीछे पहुंचे. जेल में बंद रहकर भी अखिलेश सिंह और अमन सिंह का नाता अपराध जगत से बना रहा. प्रशासनिक स्तर पर सुरक्षा के मद्देनजर दोनों को दुमका केंद्रीय कारा में शिफ्ट किया गया है.
कुछ दिन पहले जेल प्रबंधन को मिला था एक पत्र
वहीं, सूत्र बताते हैं कि कुछ दिन पूर्व जेल प्रबंधन को एक पत्र भी मिला है, यह पत्र गैंगस्टर अमन सिंह या फिर उसके गुर्गे द्वारा लिखा गया है. जिसमें अमन सिंह को जेल में अच्छे से रखने की नसीहत दी गई है. कहा जा रहा है कि दहशत फैलाने के साथ-साथ केंद्रीय कारा को असुरक्षित साबित करने के लिए यह गोली बारी की गई है. ताकि गैंगस्टर द्वारा दुमका केंद्रीय कारा में अपने जान को खतरा बताकर यहां से अन्यत्र शिफ्ट करने की अर्जी कोर्ट में दिया जा सके.
अमन सिंह के अधिवक्ता ने दी थी अर्जी
हम आपको बता दें कि जब 6 महीने पूर्व गैंगस्टर अमन सिंह को धनबाद जेल से दुमका केंद्रीय कारा में शिफ्ट करने की योजना प्रसासन द्वारा बनाई गई थी तो उस वक्त अमन सिंह ने अधिवक्ता के माध्यम से कोर्ट में अर्जी दी थी कि प्रसासन से ही उसकी जान को खतरा है. दलील दी गयी थी कि दूसरे जेल में शिफ्ट करने के बहाने रास्ते मे उसका एंकाउंटर कराया जा सकता है. इसके बावजूद उसे दुमका केंद्रीय कारा में सुरक्षित शिफ्ट कराया गया.
जेल में लगे सीसीटीवी खराब !
वहीं, जेल गेट पर गोलीबारी की घटना किसकी करतूत है यह तो अनुसंधान का विषय है लेकिन इस घटना ने जेल की सुरक्षा पर प्रश्न चिन्ह जरूर खड़े किए हैं. जेल गेट की गतिविधियों पर तीसरी नजर रखने के लिए कीमती सीसीटीवी लगाया गया है, लेकिन लगता है तीसरी नजर को ही किसी की नजर लग गयी है. तभी तो बीते कल की घटना के बाद पुलिस प्रशासन द्वारा जेल गेट के सामने लगे एक निजी सीसीटीवी कैमरे के फुटेज को खंगाला जा रहा था.
दुमका केंद्रीय कारा से शिफ्ट कराना चाहते हैं गैंगस्टर
जेल में रहकर भी गैंगस्टर अपराध जगत में अपनी बादशाहत कायम रखना चाहते हैं, जो शायद दुमका केंद्रीय कारा में रहकर नहीं हो पा रहा है. सूत्र बताते है कि गैंगस्टर को दुमका केंद्रीय कारा से अन्यत्र स्थानांतरित करवाने की मंशा से ही घटना को अंजाम दिया गया है. अपराधियों की गिरफ्तारी के बाद ही इस रहस्य से पर्दा उठ सकता है.
रिपोर्ट : पंचम झा, दुमका
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