अपने बच्चों को बनाना चाहते है टॉप का फुटबॉलर तो TFA का जान लें इतिहास, TATA के इस अकेडमी का नहीं है कोई तोड़
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टीएनपी डेस्क(TNP DESK): टाटा स्टील केवल स्टील बनाने की कंपनी नहीं है बल्कि यह ऐसे खिलाड़ियों को भी बनाती है जो अपने मेहनत के दम पर विश्व भार में झारखंड के साथ देश का नाम रोशन करते है.वही बात अगर फुटबॉल अकादमी की आती है तो देश में TFA यानि टाटा फुटबॉल अकादमी का नाम सबसे पहले नंबर पर आता है. इस अकादमी ने अब तक हजारों बड़े फुटबॉल खिलाड़ियों को विश्व मंच तक पहुंचाया है और आज भी अपने काम पर अग्रसर है. देशभर में वैसे तो कई फुटबॉल की एकेडमी है लेकिन टीएफए की बात ही कुछ और है.
TATA के इस अकेडमी का नहीं है कोई तोड़
आज भी झारखंड के साथ देश के ऐसे युवा हैं जो फुटबॉल में दिलचस्पी रखते हैं और अपनी प्रतिभा को निखार कर विश्व भर में अपना नाम रोशन करना चाहते है. तो फिर आपको टीएसए के बारे में जरूर जानकारी होनी चाहिए और इसकी विशेषताओं के बारे में जानना चाहिए. क्योंकि यहीं एक सही और बड़ा मंच है जो आपके सपनों को साकार कर सकता है.
TFA का जान लें इतिहास
आपको बता दें कि TFA का इतिहास लगभग 40 साल पुराना है. इस अकादमी की योजना 1983 में बनी थी, और वित्तीय, प्रबंधन और संरचनात्मक तौर पर तैयार होकर 1987 में शुरू हुआ.टीएफए का मुख्य उदेश्य इसे विश्व भर में नंबर वन अकादमी बनाना नहीं है बल्कि उन बच्चों को सही प्रशिक्षण और अंतरराष्ट्रीय मंच तक पहुंचाना है. यह कम यह काफी भली भांति तरीके से पिछले 4 दशकों से करता आ रहा है.
इस तरह अकादमी बच्चों को विश्व मंच पर खड़ा होने के लिए तैयार करती है
आपको बताएं कि TFA में छात्रों का चयन पूरे देश से होता है. प्रारंभ में करीब 20 कैडेट्स को शामिल किया गया था. प्रशिक्षण कार्यक्रम junior (युवा) और senior (उच्च आयु-वर्ग) दोनों के लिए हैं, जैसे Under-15, Under-19. प्रशिक्षण के हिस्से के रूप में खेल-प्रतियोगिताओं, टूर्नामेंट हिस्सा लेने, और देवेलपमेंट लीग etc. शामिल है. अकादमी में कोचिंग, सुविधा, खेल-मैदान, हॉस्टल आदि मूलभूत सुविधाएं है.
ट्रेनिंग के साथ मिलती है ये सुविधाएं
अब चलिए आपको बता देते हैं कि टीएफएम में ट्रेनिंग ले रहे बच्चों को किस तरह की सुविधा दी जाती है.अब बताये कि यह अकादमी केवल प्रशिक्षण ही नहीं देती है बल्कि आपको विश्व मंच पर खड़ा करने के लायक भी बना कर छोड़ती है. जहां आपको trials, grassroots कार्यक्रम, अन्य फुटबॉल-फेस्टिवल आदि माध्यमों से बच्चों को विकल्प मिलते है. अब तक लगभग 252 cadets graduate कर चुके है, जिनमें से लगभग 150 cadets ने भारत का प्रतिनिधित्व किया है.
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