Ranchi- राज्य सरकार ने सभी सामाजिक समूहों को जिला स्तर पर आरक्षण की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए जिलावार आरक्षण रोस्टर जारी किया है, इस आरक्षण रोस्टर में किस जिले में किस सामाजिक समूह के कितनी हिस्सेदारी होगी, इसकी पूरी सूची है.
आरक्षण रोस्टर पर पिछड़ों का संग्राम
लेकिन इस आरक्षण रोस्टर को जारी होने के बाद ही इस पर विवाद छिड़ गया है, इस रोस्टर को पिछड़ों की हकमारी बताया जा रहा है, पिछड़ी जातियों के संगठनों का दावा है कि राज्य की हेमंत सरकार भी केन्द्र की राह पर चल पड़ी है, यही कारण कि जिस सामाजिक समूह की आबादी कई जिलों में नगण्य है, उसे तो हर जिले में 10 फीसदी आरक्षण दे दिया गया. लेकिन हर जिले में एक बड़ी आबादी होने के बावजूद भी सात जिलों से पिछड़ों का आरक्षण को शुन्य कर दिया गया.
सात जिलों में ओबीसी आरक्षण शुन्य
दरअसल राज्य सरकार ने राज्य के कुल सात जिलों में ओबीसी आरक्षण को शुन्य घोषित कर दिया है, जबकि इन जिलों में ओबीसी की एक बड़ी आबादी निवास करती है. राष्ट्रीय ओबीसी मोर्चा को अध्यक्ष राजेश गुप्ता ने इसके लिए ओबीसी विधायकों को जिम्मेवार बताया है, उन्होंने कहा है ओबीसी वर्ग ने तो यह सोचा भी नहीं था कि हेमंत सोरेन के राज्य में ही उनकी हकमारी की जायेगी, केन्द्र सरकार पहले से ही आर्थिक रुप से कमजोर वर्गों को 10 फीसदी का आरक्षण लाभ देकर पिछड़ों के साथ हकमारी कर चुकी है, लेकिन अब यही काम हेमंत सोरेन के द्वारा किया जा रहा है.
पिछड़ों की हकमारी पर कोई भी ओबीसी विधायक मुंह खोलने को तैयार नहीं
ओबीसी मोर्चा के राजेश गुप्ता ने कहा कि ताजूब इस बात की है पिछड़ों की इस हकमारी पर राज्य का कोई भी ओबीसी विधायक अपना मुंह खोलने को तैयार नहीं है, सभी ओबीसी विधायकों ने चुप्पी साध रखी है. यदि हेमंत सरकार वास्तव में पिछड़ों का आरक्षण और प्रतिनिधित्व को लेकर संवेदनशील है, तो वह तत्काल इस रोस्टर को रदद् कर नया रोस्टर जारी करे, नहीं तो ओबीसी समुदाय को सड़क पर उतर कर अपना हक मांगने को मजबूर होना पड़ेगा और यह स्थिति हेमंत सरकार के लिए ठीक नहीं होगी.
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