बक्सर(BUXAR): चौसा थर्मल पावर प्लांट के द्वारा अधिग्रहित भूमि के उचित मुआवजे की मांग को लेकर चल रहा किसानों का प्रदर्शन बुधवार को उग्र हो गया. ग्रामीण लाठी-डंडे लेकर पुलिस और पावर प्लांट पर टूट पड़े. पुलिस की गाड़ियों को तोड़फोड़ कर आग के हवाले कर दिया. प्लांट के गेट पर आग लगा दी. पुलिस ने हवाई फायरिंग करके भीड़ को खदेड़ने की कोशिश की. पूरा इलाका पुलिस छावनी बना हुआ है. दोनों तरफ से पत्थरबाजी हो रही है.इसके पूर्व मंगलवार को किसानों ने प्लांट के मुख्य गेट पर प्रदर्शन किया था. जिसके बाद कथित तौर पर रात को पुलिस उनके घरों में घुसकर मारपीट की. इसका एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल किया जा रहा है. समाचार लिखे जाने पर स्थिति नियंत्रण में नहीं है.मामले में एसपी मनीष कुमार ने कहा कि घटना की सूचना मिलने पर वह मौके पर पहुंच गए हैं. फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है. इस मामले में अब तक कोई गिरफ्तारी भी नहीं हुई है .
मंगलवार को भी हुआ था प्रदर्शन
इससे पहले बीते मंगलवार को यहां थर्मल पावर के गेट के बाहर दिन भर प्रदर्शन किया. लेकिन यह प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा था. वहीं दिन में तो पुलिस और अधिकारी 2KM दूर खड़े रहे, लेकिन जैसे ही अंधेरा हुआ रात के 11.30 बजे बनारपुर गांव में घुस गई. प्रदर्शन में शामिल लोगों को पीटना शुरू कर दिया. ग्रामीणों का आरोप है कि इस दौरान महिलाओं और बच्चों को भी पुलिस ने नहीं छोड़ा. पुलिस की लाठी की मार से पूरे घर में चीख पुकार मच गई.
किसानों का क्या है कसूर
किसानों का आरोप है कि मंगलवार की रात पुलिस ने उनके घर में घुसकर उनकी पिटाई की. जिसके बाद किसान उग्र हो गए. बुधवार की सुबह किसान चौसा थर्मल पावर प्लांट में घुस गए. किसानों ने पावर प्लांट के गेट में आग लगा दी. इसके बाद वहां मौजूद वाहन में भी आग लगा दी. पीड़ित किसानों ने बतया कि हमलोग पिछले 2 महीने से वर्तमान दर के हिसाब से भूमि अधिग्रहण का उचित मुआवजे मांग रहे हैं, लेकिन कम्पनी पुराने दर पर ही मुआवजा देकर जबरदस्ती जमीन अधिग्रहण कर रही है. हमारे आंदोलन को दबाने के लिए पुलिस हमारे साथ मारपीट कर रहा है, घर में घुसकर बच्चों तक को मारा गया. आखिर हमारा कसूर क्या है, जो पुलिस ने हमें इतनी बर्बरता से मारा.
जमीन मुआवजे की मांग
बता दें कि चौसा में थर्मल पावर प्रोजेक्ट का निर्माण हो रहा है. जिसके लिए यहां के किसानों से जमीन अधिग्रहण किया गया था. लेकिन किसानों का कहना है कि जो मुआवजा दिया गया है वह पुराने दर पर दिया गया है. उनकी मांग थी कि नए दर के हिसाब से मुआवजा दिया जाए. जिसको लेकर लगभग तीन माह से किसान धरने पर बैठे हुए हैं. जिला प्रशासन की तरफ से उनके आंदोलन को खत्म करने के लिए तमाम प्रयास किये गए. बातचीत की गई, यहां तक कि किसानों को जबरन हटाने का प्रयास भी किया गया. लेकिन किसान अपनी मांग से पीछे नहीं हटे. दो दिन पहले आंदोलन कर रहे एक किसान की मौत भी हो गई थी. लेकिन प्रशासन ने उसकी कोई सुध नहीं ली. वहीं बीते पांच जनवरी को यहां महापंचायत भी बुलाई गई थी, जिसमें न सिर्फ बिहार के अलग अलग जिलों से, बल्कि यूपी-झारखंड से भी बड़ी संख्या में किसान पहुंचे थे। उन्होंने ने भी किसानों की मांग को जायज बताया था.
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