क्राइम कुंडली: बचपन से ही हथियारों का शौकीन था अमन साहू, नकली आर्म्स के साथ फोटो खिंचवाते-खिंचवाते बन गया खूंखार गैंगस्टर. पढ़िए अनटोल्ड स्टोरी

रांची(RANCHI): अपराध की दुनिया में अपना नाम और साम्राज्य बनाने का सपना देखने वाला अमन साहू भले ही अब नहीं है, उसका अंत हो गया हो. लेकिन उसकी कई कहानी आज भी सामने है कि कैसे अमन साहू कुख्यात अपराधी बन गया. आखिर अमन हथियार का शौकीन कैसे बन गया? अपराध की दुनिया में अमन कैसे आया? कौन था जिसने अमन को इस दलदल में खींचा. तो चलिए सबसे पहले जान लेते हैं कि अमन साहू कौन है और कैसे वह हथियारों का शौकीन बन गया. बचपन में नकली बंदूक के साथ फोटो खिंचवाने का शौकीन रखने वाले अमन को AK-47 कैसे पसंद आने लगी.
कौन था अमन साहू
अमन साहू की बात करें तो एक छोटे से गांव के छोटे से परिवार में जन्मा यह लड़का शुरू से ही हथियारों का शौकीन था. बचपन में नकली बंदूक के साथ फोटो खिंचवाता, फिल्में देखकर एक्शन दिखाता था. ऐसे में जब अमन बड़ा हुआ तो बड़े-बड़े हथियारों को लेने के सपने देखने लगा. इस सपने को देखते-देखते वह अपराधियों के झांसे में आने लगा. अमन को सपना दिखाया जाने लगा कि तुम्हारे पास महंगे चमचमाते हथियार होंगे, तुम्हारा पूरे इलाके में दबदबा होगा, कोई तुम्हें रोकेगा नहीं. अमन को हर दिन ऐसी बातें अपराधी बताते थे. यह सिलसिला कई दिनों तक चला और आखिर में अमन उनकी बातों में आ गया और हथियार लेने के मन से उनके साथ हो गया.
ऐसे बना अमन साहू गैंगस्टर
कहा जाता है कि हथियार लेने के बाद अमन को तीन-चार लड़कों के साथ गोलीबारी की घटना को भी अंजाम दिलवाया गया, जिसकी चर्चा पूरे इलाके में धीरे-धीरे होने लगी थी. अमन ने पहली बार हत्या को अंजाम दिया. जिसके बाद पुलिस भी अमन के गांव पहुंची और उसे गिरफ्तार कर लिया गया. यहां से ही अमन के अपराध की दास्तां लिखनी शुरू हो गई. फिर अमन जेल से निकला और फिर घटनाओं को अंजाम देने लगा. कहा जाता है कि अमन साहू बीच में नक्सलियों के साथ भी साठ-घाट में रहा. लेकिन बाद में अमन ने खुद का गैंग बना लिया. इसके गैंग में ज्यादातर युवा शामिल होते थे. जिनकी उम्र 20 से 30 के बीच में ही है. यही वजह है कि बिना कुछ सोचे समझे उसकी गैंग कहीं भी गोली चला देती है.
अमन साहू का गैंग हजारीबाग, रांची, चतरा, लातेहार, पलामू, रामगढ़ के साथ-साथ छत्तीसगढ़ के रायपुर और कई इलाकों में सक्रिय है. कई बड़े वारदातों को अंजाम इसके गैंग ने दिया है. यही वजह है कि अमन साहू हमेशा जेल से ट्रांसफर होता रहता था. कभी रांची के बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार में तो कभी पलामू के सेंट्रल जेल तो कभी छत्तीसगढ़ के रायपुर सेंट्रल जेल में शिफ्ट हो जाता था. पुलिस इसे रिमांड पर लेकर हमेशा जाती थी. इसी दौरान अमन साहू को रिमांड पर ही लेकर रायपुर से रांची आ रही थी की तभी पलामू में उसका एनकाउंटर हो गया और अमन साहू मारा गया.
ऐसे में देखें तो अमन का एनकाउंटर हुआ, मौत हुई फिर भी उसके हाथ में हथियार थे. उसके हाथ में इंसास राइफल पड़ा हुआ था. यह फोटो जैसे ही सामने आई उसके बाद चर्चा शुरू हुई कि अमन बचपन से ही हथियारों का शौकीन था. बचपन में नकली खिलौने वाले हथियार से खेलता था और फिर बड़े होने के बाद तस्वीरें बदल गई. नकली हथियार की जगह असली बंदूकों ने ले ली और जब उसकी मौत हुई तब भी हाथ में हथियार ही दिखाई दिए.
बता दें कि, अमन साहू एनकाउंटर के बाद उसके गैंग के प्राथमिक को लेकर पुलिस एक्शन मोड में है. ताबड़तोड़ कार्रवाई की जा रही है, जिससे इसके गुर्गे को अब सलाखों के पीछे भेजा जा सके. लगातार गिरफ्तारियां हो रही है. DGP खुद सभी चीजों की मॉनिटरिंग कर रहे हैं.
अब अमन साहू का अंत हो गया है लेकिन बचे हुए अन्य गैंगस्टरों पर कार्रवाई की भी तैयारी है. ऐसे में यह कहानी उस अमन साहू की थी जो खुद को गैंगस्टर समझता था और हथियार लेकर नुमाइश करता था. लेकिन आखिरी वक्त में उसका कोई भी हथियार काम नहीं आया और वह हाथ में हथियार लिए ही चला गया.
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