Patna-जिस कृषि मंडी कानून के सवाल पर पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने सीएम नीतीश के खिलाफ मोर्चा खोला था, और उसकी अंतिम परिणति मंत्रीमंडल से विदाई के रुप में हुई थी, ठीक 2024 के महासंग्राम के पहले बिहार में एक बार फिर से उसकी मांग तेज होती नजर आ रही है.
सुधाकर सिंह के बाद अब इस मांग को लेकर किसान नेता टिकैत सामने आये हैं. अपने तीन दिवसीय दौरे पर बिहार पहुंचे किसान नेता टिकैत ने नीतीश सरकार पर कृषि उत्पादों का उचित मूल्य नहीं देने का गंभीर आरोप लगाया, उन्होंने कहा कि एमएसपी नहीं मिलने के कारण बिहार के किसान अपने फसल को औने-पौने दाम पर बेचने को विवश हैं. यदि बिहार में किसानों के लिए एमएसपी की घोषणा कर दी गयी होती तो आज किसानों की दशा और दिशा यह नहीं होती, वह भी सम्मानपूर्ण जिंदगी जी रहा होता. लेकिन बिहार सरकार के फैसले ने पूरे एग्रीकल्चर सेक्टर बर्बाद कर दिया, आज किसान के बच्चे लेबर बन चुके हैं, जिसकी खपत दूसरे राज्यों में हो रही है. कृषि उत्पाद के बजाय बिहार से लेबर की सप्लाई की जा रही है. और लेबर सप्लाई ही बिहार का सबसे बड़ा उद्य़ोग बन कर सामने आया है.
तीन दिन में तीन जिलों में किसानों की सभा को संबोधित करेंगे टिकैत
इसके साथ ही टिकैत ने मंडी कानून लागू करने की मांग को लेकर एक बड़े आन्दोलन की चेतावनी भी दी और इन तीन दिनों में तीन अलग-अलग जिलों में किसानों की विशाल सभा को संबोधित करने का दावा भी किया. उन्होंने कहा कि यदि बिहार सरकार कृषि मंडी कानून को नहीं लाती है, तो जल्द ही बिहार में एक बड़े आन्दोलन की शुरुआत होगी.
बगैर बाजार समितियों के गठन के नहीं बदली जा सकती बिहार की तस्वीर
टिकैत ने दावा किया कि बगैर बाजार समितियों के गठन के बिहार के किसानों की दशा नहीं बदली जा सकती, लेकिन हो उलटा रहा है, बड़ी बड़ी कंपनियों को बिहार में आंमत्रित किया जा रहा है, और उन कंपनियों का रास्ता साफ करने के लिए एक प्लानिंग के तहत एग्रीकल्चर सेक्टर को खत्म कर दिया गया ताकि किसान मजबूर होकर इन कंपनियों को अपनी जमीन सौंप दें. विकास के नाम पर किसानों की जमीन छीनी जा रही है. लेकिन बिहार सरकार को यह याद रखना चाहिए कि किसानों का विनाश कर बिहार का विकास नहीं किया जा सकता.
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