टीएनपी डेस्क (TNP DESK): पिछले नौ दिसंबर को ही अरुणाचल के तवांग में भारतीय सेना और चीनी सेना के बीच हुए झड़प का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था की शुक्रवार की सुबह तड़के गांव वालों ने लद्दाख में चीन की सीमा से सटे भारतीय गांवों में दर्जनों सक्रिय बम मिले हैं. ये बम यहां फैले चारागाहों में बिखरे हुए थे. बम मिलने की सूचना के बाद भारतीय सेना के बम निरोधक दस्ते ने शुक्रवार की अंधेरी सुबह ही इन्हें एक ऑपरेशन के दौरान निष्क्रिय कर दिया. भारतीय सेना के ट्वीट में कहा गया है कि बम निरोधक विशेषज्ञ इस ऑपरेशन के लिए लेह से रात में ही निकल गए थे. वहां पहुंचते ही उन्होंने डेढ़ किलोमीटर में बिखरे बमों को नष्ट कर दिया. इस पूरे ऑपरेशन में उन्होंने छह घंटे का समय लगा.
सोशल मीडिया में देखने के बाद सेना हुई सक्रिय
बम की सूचना मिलते ही इसके सैपर ऑर्डिनेंस एक्सपर्ट्स ने सागा पहुंच कर तेज़ी से कार्रवाई की और 'क्वांटिटी 65 विटेंच रस्टेड यूएक्सओज़' को निष्क्रिय कर दिया. लद्दाख में कई विपक्षी पार्षदों ने सासपोल के पार्षद दोर्जे नर्बू के नेतृत्व में इन बमों की सूचना के बाद लेफ़्टिनेंट गवर्नर ए के माथुर को पत्र लिख कर इस मामले में कार्रवाई की मांग की थी. भारतीय सेना के ट्वीट में कहा गया है कि बम निरोधक विशेषज्ञ इस ऑपरेशन के लिए लेह से रात में ही निकल गए थे. वहां पहुंचते ही उन्होंने डेढ़ किलोमीटर में बिखरे बमों को नष्ट कर दिया. इस पूरे ऑपरेशन में उन्होंने छह घंटे का समय लगा. सोशल मीडिया में पोस्ट किए गए एक वीडियो में एक ग्रामीण को यह कहते हुए देखा जा रहा है कि गांव के चारागाह में एक बड़े क्षेत्र में सक्रिय बम बिखरे हैं. ख़बर के मुताबिक़, जिस गांव में ये बम मिले हैं वह चांगतांग सीमा क्षेत्र के तहत आता है. यहां इससे पहले भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प हो चुकी है. लद्दाख में मौजूद भारतीय सेना के फ़ायर एंड फ़्यूरी कोर के मुताबिक़ उन्हें बुधवार की रात को सोशल मीडिया के ज़रिये लद्दाख के सुदूर पूर्वी इलाके के गांव सागा में अन-एक्सप्लोडेड (यूएक्सओ) बम होने की सूचना मिली थी. ख़बर के मुताबिक़, जिस गांव में ये बम मिले हैं वह चांगतांग सीमा क्षेत्र के तहत आता है. यहां इससे पहले भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प हो चुकी है
1962 के बम होने का अंदेशा
लद्दाख में कई विपक्षी पार्षदों ने सासपोल के पार्षद दोर्जे नर्बू के नेतृत्व में इन बमों की सूचना के बाद लेफ़्टिनेंट गवर्नर ए के माथुर को पत्र लिख कर इस मामले में कार्रवाई की मांग की थी. हालांकि स्थानीय बीजेपी पार्षद इशे स्पेलज़ांग ने इस घटना को ज़्यादा तवज्ज़ो नहीं दी. उन्होंने कहा कि ये बम 1962 के चीन-भारत युद्ध के दिनों के हैं. उन्होंने कहा, ''ऐसा लगता है कि हवा की वजह से मिट्टी की ऊपरी परत उड़ जाने के कारण ये बम ऊपर आ गए होंगे. मैंने सांसद जे टी नामग्याल और ज़िला प्रशासन से बात की. इसके बाद आर्मी यूनिट वहां पहुंची और इन बमों को नष्ट किया.''
सीमा पर चीन हुआ सक्रिय, बनाया रोपवे
सीमा पर बढ़ते तनाव के बीच खबर है कि चीन ने भारत-भूटान-चीन सीमा के नज़दीक रोपवे बनाया है। सैनिकों की तैनाती भी बढ़ी चीन ने भारत-भूटान-चीन सीमा के तिराहे में अपने इलाके वाले तोरसा नाला के नज़दीक एक रोप-वे बना लिया है. रक्षा सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार ये रोपवे उस इलाके के नज़दीक बना है, जहां भारत-भूटान-चीन की सीमाएं मिलती हैं. हाल में इस रोपवे के कुछ एंकर प्वाइंट दिखे हैं. चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा से सटे इलाकों में सैनिकों की तैनाती बढ़ाने के साथ ही इन्फ्रास्ट्रक्चर मज़बूत करने में लगा है. ख़बर है कि चीन पूरे पूर्वी सेक्टर से लगे इलाके में सड़कें बना रहा है और दूसरे इन्फ्रास्ट्रक्चर मज़बूत कर रहा है. अरुणाचल के तवांग में जिस यांग्त्से इलाके में पिछले सप्ताह भारत और चीनी सैनिकों की हाथापाई हुई थी, चीनी सेना ने यहां अपने दावे को मज़बूती देने के लिए पिछले साल ही गश्त बढ़ा दी थी. चीनी सेना ने देखा कि इस इलाके में चीनी चरवाहे को आना-जाना बंद हो गया है. इसके बाद ही उन्होंने ये क़दम उठाया. रक्षा सूत्रों ने बताया, ''दरअसल भारतीय सेना यहां ऊंचाई पर तैनात है. भारतीय सेना की वर्चस्व वाली इस ऊंचाई से चीनी सेना चिढ़ी हुई है. भारतीय सेना यहां ऐसी पोज़ीशन पर है जहां से पूरी घाटी दिखती है. चीनी सेना यहां जाड़े से पहले और बाद में दो से तीन बार गश्त करती है. यांग्त्से में घुसने के चार रास्ते हैं और चीनी सेना यहां आने के लिए इन्हीं का इस्तेमाल करती है. यांग्त्से तवांग से 30-35 किलोमीटर दूर उत्तर-पूर्व में है. ये इलाका 17 हजार फ़ीट की ऊंचाई पर है.'' रक्षा सूत्रों के मुताबिक़ डोकलाम के नज़दीक तोरसा इलाके में लगातार गतिविधियां दिख रही हैं. डोकलाम में 2017 में भारत और चीनी सेना 73 दिन आमने-सामने रहने के बाद हटी थी.
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