टीएनपी डेस्क(TNP DESK): केन्द्र सरकार ने सिख सैनिकों की पंरपरा, मान्यता और संस्कृति के अनुकूल 12730 बैलिस्टिक हेलमेट खरीदने का आदेश दिया है. लेकिन इसके साथ ही करीबन सौ वर्षों के बाद एक बार सेना में पगड़ी का विवाद छिड़ता नजर आ रहा है. खबर यह आ रही है कि सिखों के सर्वोच्च संस्था गुरुद्वारा प्रबंधन समिति ने इस फैसले का विरोध करने का निर्णय लिया है.
निर्माता कंपनी का दावा
जबकि रक्षा मंत्रालय के आदेश के बाद निर्माता कंपनी का कहना है कि इस हेलमेट की पूरी डिजायन सिख धर्म की मान्यता, संस्कृति और परंपरा को ध्यान में रखते हुए किया जा रहा है. इससे किसी की भी धार्मिक मान्यता आहत नहीं होने वाली है. हमारे सिख भाई बड़ी आसानी से अपने हेलमेट के उपर इसे रख सकते हैं और यह उनकी सुरक्षा के लिए बेहद मह्त्वपूर्ण होगा, हमारी कोशिश मात्र उन्हे सुरक्षा प्रदान करने की है. यह एक प्रकार का एंटी फंगल, एंटी एलर्जिक और बुलेट प्रूफ हेमलेट है.
सिखों के लिए पांच मीटर का कपड़ा नहीं है पगड़ी- जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह
अकाली तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने इस फैसले का विरोध करते हुए कहा कि है कि पगड़ी हमारी पहचान है, यह हमारी आस्था है, हेलमेट पहनने का कोई भी आदेश हमारी आस्था पर हमला है, सेना और सरकार को तत्काल इस फैसले को वापस लेना चाहिए.
नई नहीं है पगड़ी का विवाद
यहां बता दें कि सिख समुदाय के लिए पगड़ी का विवाद को नया नहीं है. प्रथम विश्व युद्ध के समय भी सिख सैनिकों ने ब्रिटिश सैनिकों के सामने हेलमेट पहनने से इंकार कर दिया था. हालांकि उस वक्त पंजाब सिंह सभा ने भी सैनिकों को हेलमेट पहनने की सलाह दी थी. लेकिन बावजूद इसके सैनिकों ने हेलमेट पहनने से इंकार कर दिया था.
रिपोर्ट: देवेन्द्र कुमार, रांची
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