बिहार: बिहार विधानसभा के चुनाव में अभी वक्त है, लेकिन शह -मात मार्च का खेल जारी है. सूचना है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी ने भाजपा को जोर का झटका, धीरे से दिया है. मणिपुर में भाजपा से अपना समर्थन वापस ले लिया है. हालांकि मणिपुर में जदयू के समर्थन वापसी से सरकार पर कोई खतरा नहीं है. फिर भी इसके राजनीतिक मतलब निकाले जा रहे है. राजनीतिक मतलब पटना से दिल्ली तक भी निकाले जाएंगे. हो सकता है कि नीतीश कुमार भाजपा पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हो.
नीतीश कुमार के फैसले का पास सकता है दूरगामी असर
नीतीश कुमार के फैसले का दूरगामी असर पड़ सकता है. बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव होने है. ऐसे में नीतीश कुमार की पार्टी के इस फैसले को भाजपा पर सीट बंटवारे के लिए दबाव की रणनीति के रूप में भी देखा जा सकता है. वैसे मणिपुर लगातार चर्चा में है. भाजपा पर हिंसा नियंत्रित नहीं करने के आरोप लगते रहे है. वीरेंद्र सिंह मणिपुर में भाजपा के मुख्यमंत्री है. विपक्ष की ओर से लगातार उन्हें हटाने की मांग की जाती रही है. लेकिन भाजपा उन्हें हटा नहीं रही है. जो भी हो, लेकिन नीतीश कुमार का भाजपा को यह कोई न कोई संदेश है.
नीतीश कुमार के पलटने की अफवाह अब ठंढी पड़ गई है
अभी तो नीतीश कुमार के पलटने की जो अफवाह थी, वह धीमी पड़ गई है. लेकिन बीच में तो स्थिति कुछ बिगड़ी जरूर थी. गृह मंत्री अमित शाह ने जब यह कहा था कि चुनाव के बाद बिहार के मुख्यमंत्री का चयन किया जाएगा. उसके बाद से मनमुटाव थोड़ा बढ़ा था. भाजपा प्रदेश से लेकर अन्य नेता लगातार यह कहते चल रहे थे कि बिहार के चुनाव में एनडीए का चेहरा नीतीश कुमार ही होंगे. इस बीच नीतीश कुमार ने मणिपुर से समर्थन वापस ले लिया है. राजनीतिक पंडित मानते हैं कि नीतीश कुमार छोटा संदेश देकर बड़ा रिजल्ट चाहते है. अब यह देखने वाली बात होगी कि मणिपुर से समर्थन वापस लेने का नीतीश कुमार को कितना फायदा मिल सकता है. यह बात भी सच है कि नीतीश कुमार के समर्थन से केंद्र में सरकार चल रही है.
कुछ कह देने और फिर पलट जाने का चल रहा है दौर
इधर, बिहार में चुनाव को देखते हुए कुछ कहने और फिर उससे पलट जाने का दौर चल रहा है. ताजा उदाहरण केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी का है. जीतन राम मांझी कुछ दिनों से काफी चर्चा में है. दिल्ली और झारखंड के चुनाव में सीट नहीं मिलने का जीतन राम मांझी को मलाल है. मंगलवार को बात निकली कि जितना मांझी ने कैबिनेट छोड़ने की बात कह दी है. लेकिन केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने सफाई दी है कि वह मरते दम तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का साथ नहीं छोड़ेंगे. यह भी कहा कि कुछ वेब पोर्टल और समाचार चैनलों ने भ्रामक खबर प्रसारित थी कि जीत राम मांझी कैबिनेट से इस्तीफा देंगे. जबकि मैंने मुंगेर की सभा में हो रही देरी को लेकर कहा था कि आप लोग लेट कर रहे है. जिसके कारण मेरी फ्लाइट छूट जाएगी और मुझे कैबिनेट छोड़ना पड़ेगा.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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