पटना(PATNA) बिहार की राजनीति में लालू प्रसाद यादव धूमकेतु की तरह सामने आए. वह समय 1977 का था. जब 29 साल की उम्र में वह लोकसभा के सदस्य चुने गए थे. उसके बाद कई झंझावातों को पार करते हुए लालू प्रसाद आगे बढ़ते रहे. लेकिन चारा घोटाला उनके लिए एक बार फिर परेशानी बनकर सामने खड़ा हुआ. उन्हें जेल जाना पड़ा. फिलहाल वह बेल पर हैं. इधर लैंड फॉर जॉब स्कैम में लालू प्रसाद पर प्रवर्तन निदेशालय ने फिर कार्रवाई शुरू कर दी है. सोमवार को पटना में प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी ने उनसे पूछताछ की. इसके ठीक पहले नीतीश कुमार ,लालू प्रसाद यादव की पार्टी से अलग होकर एनडीए में शामिल हो गए.
एनडीए ने एक झटके में विपक्षी गठबंधन की हवा निकाल दी
नीतीश कुमार ने नौवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री का शपथ ले लिया. यह बात सही है कि नीतीश कुमार को एनडीए में लाने के लिए कई स्तरों से प्रयास किया जा रहा था. नीतीश कुमार का भी मन डोल रहा था. अंततः डील फाइनल हो गई और नीतीश कुमार फिर एक बार मुख्यमंत्री बन गए. राजनीतिक पंडित यह मानते हैं कि नीतीश कुमार के एनडीए में शामिल होने का लोकसभा चुनाव में कितना फायदा मिलेगा, यह तो समय बताएगा, लेकिन फिलहाल एनडीए ने एक झटके में विपक्षी गठबंधन की हवा निकाल दी है. इंडिया ब्लॉक को एक बड़ा झटका दे दिया है. और एनडीए चाह भी यही रहा था कि नीतीश कुमार के शामिल हो जाने से कुछ ना कुछ फायदा तो होगा ही. लेकिन उससे अधिक फायदा होगा कि गठबंधन के खिलाफ एक नकारात्मक छवि को हवा देने में सहूलियत हो जाएगी. अंततः हुआ भी ऐसा ही .
लालू प्रसाद यादव पर बढ़ाया जा रहा दबाव
लालू प्रसाद यादव ,यह अलग बात है कि शारीरिक रूप से अब उतने मजबूत नहीं है. फिजिकल एक्टिविटी भी उनका कम गया है. लेकिन फिर भी लालू प्रसाद यादव के बारे में कहा जाता है कि वह कब क्या गुल खिला देंगे, यह कहना मुश्किल है. शायद यही वजह है कि एक तरफ नीतीश कुमार को एनडीए में ले लिया गया है तो दूसरी तरफ लालू प्रसाद यादव पर दबाव बढ़ाया जा रहा है. लालू प्रसाद को जानने वाले लोग कहते हैं कि लालू प्रसाद समय के बहुत ही अच्छे पारखी हैं. पीछे हटकर चोट करना वह जानते हैं. लोगों की भीड़ और उनके मन के अनुसार बातें करना भी उन्हें बखूबी आती है. इतना तो तय है कि बिहार में पिछड़ों को जागरूक करने में उनकी बड़ी भूमिका रही है और यही वजह है कि आज भी उनको चाहने वाले कम नहीं हुए हैं.
लालू का राजनीतिक खौफ अभी भी कम नहीं
लालू प्रसाद ने जब अपनी पत्नी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बनाया तो उस समय बहुत चर्चाएं हुई, लेकिन बेफिक्र लालू प्रसाद अपने निर्णय पर अडिग रहे. हालांकि अब तो वह अपनी राजनीतिक विरासत अपने पुत्र तेजस्वी यादव को लगभग सौंप दिए हैं. फिर भी अभी लालू प्रसाद यादव का राजनीतिक खौफ कम नहीं हुआ है.
एनडीए और 40 लोकसभा सीटों के बीच लालू दीवार बन खड़े दिख रहे
11 जून 1948 को जन्मे लालू प्रसाद यादव 42 साल की उम्र में 1990 में बिहार के मुख्यमंत्री बने थे .वह बिहार के पूर्व रेल मंत्री भी रह चुके हैं. उनका कहना होता है कि वह सांप्रदायिकता के आगे कभी झुकेंगे. बाहर से जितने ही हंसी ठिठौली करने वाले लगते हैं, भीतर से उतना ही गंभीर पॉलीटिशियन की उनकी छवि है. बहरहाल ,नीतीश कुमार को अपने पाले में करने के बावजूद लालू प्रसाद यादव का खौफ कम नहीं हुआ है. बिहार के 40 लोकसभा सीटों में से 39 अभी एनडीए के पास है. एनडीए 2024 के चुनाव में कुल 40 सीटों पर नजर गड़ाए हुए हैं. लेकिन लालू प्रसाद यादव एनडीए और 40 लोकसभा सीटों के बीच में दीवार बन खड़े दिख रहे हैं.
रिपोर्ट; धनबाद ब्यूरो
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