बेतिया(BETTIAH):हमारे देश में कई ऐसी हस्तियां हैं जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्र में एक अलग मुकाम हासिल किया है, जिसके लिए उन्होंने अथाह मेहनत और संघर्ष किया, तब जाकर वह किसी मुकाम पर पहुंचे, चाहे वह क्रिकेट के क्षेत्र के भगवान सचिन तेंदुलकर हो या फिर बिजनेस के क्षेत्र में रतन टाटा. इन्होंने ना जाने कई कठिनाइयों को पार करते हुए सफलता पाई.जिसके लिए उनका सम्मान किया जाता है, लेकिन एक भिखारी के रूप में भी कोई अपनी पहचान देश में बना सकता है,और अपनी पहचान बना सकता है, यह बात दूर-दूर तक भी किसी ने नहीं सोची होगी, लेकिन इस बात को राजू नाम के भिखारी ने सच कर दिखाया. बिहार के बेतिया जिले के रहनेवाले राजू ने डिजिटल भिखारी के रूप में पूरे देश में अपनी अलग पहचान बनाई जिसे आज भी लोग जानते हैं, लेकिन शुक्रवार को एक बहुत ही दुखद खबर सामने आई की डिजिटल भिखारी के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले राजू की हार्ट अटैक से मौत हो गई.
राजू भीखारी की हार्ट अटैक से अचानक मौत
बताया जा रहा है कि बेतिया रेलवे स्टेशन पर भीख मांगने के दौरान राजू की अचानक तबीयत खराब हो गई. इसके बाद वहां के स्थानीय लोगों के द्वारा उसे बेतिया जीएमसीएच में भर्ती कराया गया. जहां हार्ट अटैक से उसकी मौत हो गई.आपको बताये कि राजू देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लालू यादव का जबरा फैन था.डिजिटल भिखारी राजू मंदबुद्धि था, जिसकी वजह से उसे कोई नौकरी नहीं देता था. तब उसने भीख मांग कर अपना गुजारा करना शुरू कर दिया. पिछले 30 सालों से राजू लोगों से भीख मांग कर अपना गुजारा कर रहा था. उसका कहना था कि लोगों के पास हर वक्त खुले पैसे नहीं होते हैं जिसकी वजह से हमने डिजिटल के तरीके से पैसा लेना शुरू किया. राजू पीएम मोदी के डिजिटल से काफी खुश था और उन्हीं से प्रभावित होकर इस तरह से भीख मांगने का तरीका अपनाया. बेतिया रेलवे स्टेशन पर भीख मांगने वाले इस शख्स का दावा था कि वह देश का पहला डिजिटल भिखारी है.
राजू भीखारी का लालू यादव से गहरा रिश्ता था
आपको बता दें कि राजू लालू यादव का बड़ा फैन बताता था. एक वक्त था वह लालू यादव की नकल भी करता था और आसपास जहां भी लालू यादव का कार्यक्रम होता था राजू वहां पहुंच जाता था. लालू यादव ने उसके लिए दो वक्त के खाने का भी रेलवे में पास बनवाया था. जिससे उसे खाने की दिक्कत नहीं होती थी. 2005 में लालू यादव के आदेश पर उसे सप्तक्रांति सुपरफास्ट एक्सप्रेस के पैंटीकार से रोज भोजन मिलता था, लेकिन उनके रेल मंत्री के पद से हट जाने के बाद पास भी कैंसिल हो गया और अब लोगों से मांग कर वह अपना गुजर बसर करता था. लोग यदि खुदरा पैसा नहीं देते थे तो राजू अपना क्यूकोड दिखाकर उनसे पैसा लेता था.
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