Ranchi- पूर्व सीएम रघुवर दास को ओड़िसा का महामहिम बनाने की खबर के साथ सियासी हलकों में इस बात की चर्चा भी तेज हो गयी थी कि अब झारखंड की सियासत का रंग बदलने वाला है. दावा किया गया था कि रघुवर मुक्त भाजपा में हेमंत की मुश्किलें और सियासी दुश्वारियां और भी गहराने वाली है. अब तक जो ईडी एक हिचक के साथ अपने पैतरें को खेल रही थी, खुलकर अपनी जांच को आगे बढ़ायेगा.
दावा किया जाता था कि ईडी की हर जांच के आगे खुद रघुवर दीवार बन कर सामने आ जाते थें, जैसे ही हेमंत की कोई कमजोर नस दबती सी नजर आती है, उसके दूसरे सिरे पर रघुवर खड़े नजर आते थें. चाहे मनरेगा घोटाला में फंसे पूजा सिंघल का मामला हो या सियासी गलियारों में ब्रोकर की पहचान बना चुके विशाल चौधरी की अभूतपूर्व सफलता की कहानी. सबके तार पूर्व सीएम रघुवर दास के जुड़े नजर आते थें, राजनीतिक गलियारों में उन कहानियों को भी खूब चटकरे लेकर सुनाया जाता था, किस प्रकार सीएम रघुवर दास मंत्री रहते हुए एक विशेष कार का इस्तेमाल कर रहे थें और यह कार उन्हे इसी विशाल चौधरी के एक सहयोगी के द्वारा भेंट स्वरुप प्रदान किया गया था. इसके साथ ही मोमेंटम घोटला से लेकर ट्रॉफी-टी शर्ट घोटाले में भी उनका नाम राजनीतिक विरोधियों के द्वारा बार-बार उछाला जाता था, खुद हेमंत सोरेन का दावा था कि इस घोटाले में करीबन सौ करोड़ की हेराफेरी की गयी. जिसके कारण भाजपा को बार-बार बचाव की मुद्रा में खड़ा होना पड़ता था.
रघुवर सरकार के ही काबीना मंत्री रहे सरयू राय भी खोले हुए थे मोर्चा
और यह मोर्चा सिर्फ झामुमो की ओर से ही नहीं खोला जा रहा था, बल्कि खुद रघुवर सरकार के काबीना मंत्री रहे सरयू राय भी बार-बार निशाना साध रहे थें. जब सीएम हेमंत के उपर साहिबगंज में अवैध खनन का मामला उछलने लगा तो सरयू राय ने यह दावा कर सियासी भूचाल ला दिया था कि "मेरे पास सबूत है कि 1 अप्रैल, 2017 से 31 दिसंबर, 2017 तक झारखंड में दिन के उजाले में अवैध रूप से लौह अयस्क का खनन किया जाता रहा. और तात्कालीन सीएम रघुवर दास को को इस अवैध खनन की एक-एक जानकारी थी, बावजूद इसके तमाम सबूतों को दरकिनार कर खुद रघुवर के द्वारा संबंधित कंपनी को परिवहन का प्राधिकरण ( चालान ) जारी करने का आदेश जारी किया गया. जबकि आम रुप से प्राधिकरण का आदेश जिला खनन अधिकारी के द्वारा जारी किया जाता है, लेकिन तब रघुवर दास ने अवैध खनन के सारे आरोपों को खारीज कर दिया था. सरयू राय के इस बयान को सीएम हेमंत के पक्ष में मजबूत बैंटिंग मानी गयी थी.
रघुवर दास का सियासी पटल से गायब होते ही सीएम हेमंत का सुरक्षा कवच ध्वस्त
साफ है कि रघुवर दास के रुप में रुप में सीएम हेमंत को एक मजबूत सुरक्षा कवच मिला हुआ था, लेकिन अब उन्हे झारखंड की सियासत से दूर कर सीएम हेमंत का वह सुरक्षा कवच हटा लिया गया है. अब सीएम हेमंत को सीधे सीधे इन आरोपों से टकराना होगा, और सबसे बड़ी बात ईडी के सामने से सारे बाधाओं को दूर कर लिया गया है. तब क्या यह माना जाय कि झारखंड में ईडी की जांच अब नये सिरे से तेज होने वाली है, और इन तमाम कथित घोटालों के बारे में एक के बाद एक सनसनीखेज पर्दाभाश कर उनकी राह में सियासी राह में कंटीले तार बिछाये जायेंगे.
रघुवर के गायब होते ही ईडी की दबिश हुई तेज
हालात कुछ इसी ओर इशारा कर रहे हैं, अभी रघुवर दास की ताजपोशी का जश्न खत्म भी नहीं हुआ था कि ईडी ने झारखंड शराब घोटाले का मास्टर माइंड माने जाने वाले योगेन्द्र तिवारी को गिरफ्तार कर सियासी भूचाल ला दिया, दावा किया जाता है कि इस घोटाले का तार जल्द ही सीएम हेमंत से जोड़कर 2024 के जंग के पहले सीएम हेमंत के खिलाफ भ्रष्टाचार का नया परसेप्शन तैयार किया जायेगा. हालांकि इस मामले में यह भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि दिल्ली शराब घोटाले में संजय सिंह की गिरफ्तारी के बाद कोर्ट ने अपनी अहम टिप्पणी में कहा है कि किसी भी नई नीति के निर्माण से किसी विशेष गुट को इसका लाभ होने का आरोप लगाया जा सकता है, और यह लाभ हो भी सकता है, लेकिन सिर्फ इस बिना पर किसी पर भ्रष्टाचार का आरोप साबित नहीं किया जा सकता, जब तक की पैसे के लेन-देन का कोई साक्ष्य नहीं मिले, और वह साक्ष्य भी किसी का बयान नहीं होकर पैसे के लेन-देन का सबूत जुटाना होगा, किसी गवाह की गवाही और बयान के आधार पर किसी को मुजरिम नहीं ठहराया जा सकता.
सीएम हेमंत के खिलाफ पैसे के लेन देन का कोई साक्ष्य नहीं
लेकिन कथित झारखंड शराब घोटाले में सीएम हेमंत के खिलाफ पैसे के लेने देने का कोई सबूत अभी तक उपलब्ध नहीं है, हालांकि आने वाले दिनों में यह जांच किस दिशा में आगे बढ़ती है, कौन कौन से सबूत और साक्ष्य सामने आते हैं और उन साक्ष्यों का कोर्ट में कितनी अहमियत होगी, यह देखने वाली बात होगी.
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