टीएनपी डेस्क (TNP DESK):- झारखंड में बुजुर्गों को पेंशन से जिंदगी आसान बनी है, तो इस पेंशन के चक्कर में चिंता की लकीरें भी चेहरे पर खींच दी है । वृद्धा पेंशन को लेकर न जाने कितनी ख़बरे सुर्खिया बनते रहती है. कभी बैंकों या सेंटरों पर बुजुर्गों की लंबी-लाइन लगी रहने की , तो कभी तपती गर्मी और बारिश में पैदल चलकर पेंशन उठाने की , तो कभी सरकारी मुलाजिमों के अनदेखी, नियम-कायदे और बेवजह झंझटों से पेंशनधारियों को रुबरू होने की. तरह-तरह के किस्से फिंजा में तैरते रहते हैं . इसी कड़ी में एक नयी स्टोरी चौकाने वाली सामने आई है. इसमे बोकारो जिले के कसमार के एक बुजुर्ग को सरकारी कागजों में तो 8 महीने पहले मार दिया गया था , लेकिन असल जिंदगी में वह पेंशन के लिए दर-दर ठोकर खा रहा है और बाबुओं के सामने फरियाद कर खुद के जिंदा होने का सबूत और दलिलें पेश कर रहा था . लेकिन, बाबुओं को इस बुजुर्ग के दर्द से न कोई वास्ता और न मतलब था.
अजब हैं पर सच है
यह कहानी है कसमार ब्लॉक के बगदा गांव की , जहां जिंदगी के 70 साल काट चुके बुजुर्ग खेदन घांसी रहते हैं ,जिनकी जिंदगी गुरबत की चादर ओढ़े हुई है, लेकिन, उनकी आमदनी का एक जरिया सरकार से मिलने वाला मासिक पेंशन भी था. इसके बंद होने से उसके खाने-पीने के भी लाले पड़ गये थे. गीरीबी सामने सीना चौड़ा करके खड़ी थी . दरअसल, सरकारी बाबुओं के गाफिल रवैये के चलते नहीं मिल रहा था. फाइलों में वह मरा हुआ साबित हो चुका था. वह इसे साबित करने के लिए दफ्तरों की चौखट पर अपने जिंदा होने की सबूत पेश करते-करते थक गया था.
जांच में जीवित पाया गया बुजुर्ग
चिंता और हैरानी की बात यह भी थी कि अफसर भी इस मामले में एक-दूसरे की नहीं सुन रहे हैं. कसमार बीडीओ विजय कुमार के पास जब यह मामला पहुंचा, तो उन्होंने फाइल निकलवाई. इसके बाद 20 अप्रैल, 2023 को उन्होंने सामाजिक सुरक्षा, बोकारो के सहायक निदेशक को लेटर लिखा. इसमें बताया गया कि बगदा के पंचायत सचिव की तरफ से गलती से जीवित पेंशनधारी को फिजिकल वेरिफिकेशन में मृत घोषित कर दिया गया है. इसलिए उनकी पेंशन रुक गई है. बीडीओ ने अपने लेटर में कहा कि नए फिजिकल वेरिफिकेशन में खेदन घांसी को जीवित पाया गया है. यानी इस आधार पर उन्हें सितंबर, 2022 से पेंशन का भुगतान किया जाए.
सितंबर 2022 से पेंशन हुई थी बंद
खेदन को लगातार पेंशन हर महीने की मिल रही थी. लेकिन सितंबर, 2022 में जब अचानक पेंशन बंद हुई, तो उसे कुछ समझ में नहीं आय़ा. दफ्तर जाने पर मालूम किया, तो वह हैरान और परेशान रह गए. वे तब से ही खुद को जीवित साबित करने की जुगत और जद्दोजहद में लगे हुए हैं.
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