टीएनपी डेस्क(TNP DESK): यूपी-बिहार में रामचरित मानस की चौपाइयों और “शूद्र” को लेकर घमसान के बीच अब मोहन भागवत के बयान पर संग्राम तेज हो गयी है. एक ओर जहां 'मैं हूं ब्राह्मण महासभा' और दूसरे ब्राह्मण संगठनों के द्वारा संघ प्रमुख से अपना बयान वापस लेने की मांग की गयी है, संघ प्रमुख को चेतावनी देते हुए कहा गया है कि यदि उनके द्वारा यह बयान वापस नहीं लिया जाता है तो वह कलयुग के विभीषण करार दिए जायेगें.
'मैं हूं ब्राह्मण महासभा' के कार्यकर्ताओं के द्वारा विरोध प्रदर्शन
संघ प्रमुख के विरोध में 'मैं हूं ब्राह्मण महासभा' के कार्यकर्ताओं के द्वारा कानपुर में जमीन पर बैठ कर हनुमान चालीसा का पाठ किया गया, पंडितों का कहना था कि मनुस्मृति ब्रह्माजी के पुत्र के द्वारा लिखी गयी है, ब्राह्मण जीवन पर लोगों का ज्ञान बांटता रहता है, जबकि यहां संघ प्रमुख के द्वारा एक खास राजनीति के तहत ब्राह्मणों के खिलाफ नफरत भरा बयान दिया जा रहा है. ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष दुर्गेश मणि त्रिपाठी ने कहा कि भागवत अपना बयान वापस लें, नहीं तो उन्हें कलयुग का 'विभीषण' करार दिया जायेगा.
शंकाराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद का सवाल, कहां से मिलता है ज्ञान
इधर शंकाराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद के द्वारा इस बयान पर कड़ी आपत्ति जताते हुए संघ प्रमुख से पूछा गया है कि यह अमूल्य ज्ञान उन्हे मिला कहां से? इसका श्रोत क्या है? उनकी जानकारी का आधार क्या है? किस हवाले से यब बात कही जा रही है?
क्या बोला था संघ प्रमुख ने
दरअसल संत रविदास जयंती पर मुबंई में आयोजित एक कार्यक्रम में संघ प्रमुख ने जाति-वर्ण व्यवस्था और समाज में मौजूद ऊंच-नीच की भावना के लिए सीधे-सीधे पंडितों सो जिम्मेवार ठहराया था, उनका कहना था कि ईश्वर ने तो हमें इंसान ही बनाया था, ये तो पंडित हैं जिनके द्वारा अपने स्वार्थ की सिद्धि लिए जाति और वर्ण का आविष्कार किया गया, जिसके कारण पूरे समाज में नफरत का माहौल कायम हुआ, हिन्दू समाज बंटा. जिसके बाद पूरे देश में ब्राह्मण संगठनों के द्वारा संघ प्रमुख का विरोध शुरु हो गया है, उनके बयान को ब्राह्मणों के खिलाफ नफरत फैलाने वाला बताया गया और उनसे माफी की मांग की जा रही है.
रिपोर्ट: देवेन्द्र कुमार
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