मुज़फ्फरपुर(MUZAFFARPUR): झोलझाप डॉक्टर के चक्कर में अपने दोनों किडनी गंवा चुकी सुनीता आज अपनी जिंदगी की जंग भी हार गई है. दो सालों से डायलिसिस पर इलाजरत सुनीता किडनी डोनर का इंतजार करती रही लेकिन जब तक सुनीता के लिये कोई किडनी डोनर मिलता तब तक सुनीता ने दुनिया को अलविदा कह दिया. ये कहानी है मुज़फ्फरपुर की सुनीता की. मुज़फ्फरपुर जिले के सकरा थाना के बाजी राउत की रहने वाली सुनीता एक गरीब परिवार से आती थी. जुलाई 22 को पेट दर्द की शिकायत के कारण उसने स्थानीय झोला छाप डॉक्टर की मदद ली. डॉक्टर उसका इलाज करता रहा और उसे ऑपरेशन की सलाह दी. सुनीता के परिजनों ने डॉक्टर पर भरोसा किया और सितंबर महीने में सुनीता का ऑपरेशन होना तय हुआ. सितंबर में उस डॉक्टर ने सकरा थाना क्षेत्र के बरियारपुर स्थित शुभकान्त क्लीनिक में सुनीता को भर्ती कर लिया, जहां ऑपरेशन के नाम पर सुनीता से 30,000 रुपये भी लिए गए. शुभकान्त क्लीनिक के कथित डॉक्टर पवन ने सुनीता का ऑपरेशन कर दिया जहां से तीसरे दिन उसे घर भेज दिया गया.
वहीं, घर पहुंचने के बाद सुनीता की तबियत खराब होने लगी तब वह पुनः उसी डॉक्टर के पास गई. डॉक्टर ने सुनीता को शहर जाकर इलाज कराने की सलाह दी. इसके बाद मुज़फ्फरपुर श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज में जब सुनीता का अल्ट्रासाउंड किया गया तब पता चला कि सुनीता की दोनों किडनी नहीं है. जिसके बाद इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई और बेहतर इलाज के लिये सुनीता को पटना रेफर कर दिया गया.
श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज में ही चल रहा था इलाज
मुज़फ्फरपुर से पटना आना-जाना और उसके इलाज के बढ़ते खर्च को देखते हुए सुनीता के परिजन उसे घर ले आये. गरीबी और भुखमरी से लाचार परिजनों और छोटे-छोटे मासूम बच्चों को देखकर कई सामाजिक संगठन के लोग आगे आये और सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया कि सुनीता को मुज़फ़्फ़रपुर के श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज में ही इलाज कराया जाए. जिसके बाद मुज़फ्फरपुर के मेडिकल कॉलेज में सुनीता भर्ती हुई. जहां नियमित उसका डायलिसिस किया जाने लगा. इस बीच सुनीता के ऑपरेशन के आरोपी डॉक्टर की गिरफ्तारी हुई और उसे सात साल की सजा दी गई.
उधर सुनीता, जिला कलेक्टर से लेकर स्वास्थ्य मंत्री और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा तक से गुहार लगाती रही कि कम से कम उसके लिये सरकारी स्तर पर एक किडनी की व्यवस्था कर दी जाए. लेकिन जब तक सुनीता के लिये कोई किडनी डोनर मिलता सुनीता ने दुनिया को अलविदा कह दिया. मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर सतीष कुमार सिंह ने बताया कि वह पिछले दो साल से हमारे यहां इलाजरत थीं. हमारे यहां उपलब्ध सुविधा के साथ हमारे नेफ्रोलॉजी के डॉक्टर उनका इलाज कर रहे थे. पिछले कुछ दिनों से उनकी स्थिति में गिरावट आ रही थी और आज उनकी मृत्यु हो गई.
रिपोर्ट: ऋषिनाथ
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