सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी : शिक्षा क्षेत्र में बड़े व्यापारिक घरानों का कब्जा, मोटी फीस लेकर मेडिकल कॉलेज में हो रहा दाखिला


टीएनपी डेस्क(TNP DESK): देश में फार्मेसी कॉलेजों की बढ़ती संख्या पर चिंता व्यक्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आजकल शिक्षा एक उद्योग बन गई है. फॉर्मेसी कॉलेजों की फीस इतनी बढ़ गई है कि छात्र यूक्रेन जाने को मजबूर हो गये हैं. कोर्ट ने कहा कि शिक्षा क्षेत्र में बड़े व्यापारिक घराने बन चुके हैं. यहां मेडिकल एजुकेशन के क्षेत्र में मोटी फीस लगने के कारण, भारत के छात्रों को यूक्रेन जैसे देशों में जाना पड़ता है. क्योंकि मेडिकल एजुकेशन वहां बहुत सस्ता है. दो उच्च न्यायालयों के आदेशों के खिलाफ भारतीय फार्मेसी परिषद द्वारा दायर एक अपील पर सुनवाई करते हुए जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस हिमा कोहली की अवकाश पीठ ने यह टिप्पणी की.
इस मामले में फार्मेसी काउंसिल की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी थी कि फॉर्मेसी कॉलेजों के तेजी से बढ़ने के कारण नए कॉलेजों को मान्यता देने पर स्थगन जारी किया गया था. उन्होंने कहा कि वास्तव में इन संस्थानों की आड़ में बिजनेस हो रहा है.
“कॉलेज को हुआ तीन साल का नुकसान”
वहीं अदालत में कॉलेजों के वकील ने कहा कि मान्यता और स्वीकृति देने पर रोक के कारण उन्हें तीन साल का नुकसान हुआ है. इसका जवाब देते हुए एसजी मेहता ने शीर्ष अदालत से कहा कि आपत्तिजनक बात यह है कि कॉलेज कह रहे हैं कि हमने तीन साल गंवाए. उन्होंने आगे कहा कि छात्रों के लिए ऐसा मान सकता हूं कि उन्हें तीन साल का नुकसान हुआ है मगर, कॉलेज के लिए नहीं, जो खुद एक बिजनेस इंडस्ट्री हैं. याचिकाकर्ता ऐसी संस्थाएं थीं, जिन्होंने दावा किया था कि वे फार्मेसी कॉलेज स्थापित करना चाहती हैं और इसलिए उन्हें पीसीआई की पूर्व स्वीकृति की आवश्यकता है. पीसीआई की रोक के कारण इसमें देरी हो रही है.
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