रांची(RANCHI): झारखंड को एक राज्य के रुप में अस्तिव में आये 22 वर्ष गुजर गये, इन 22 वर्षो में एक के बाद दूसरे मुख्यमंत्री आते गयें, इन 22 वर्षो में राज्य के युवाओं ने एक एक कर 12 बार मुख्यमंत्रियों का चेहरा बदलते देख लिया, किसी ने दो बार तो किसी ने तीन-तीन बार इस कुर्सी को शोभायमान किया, सीएम की कुर्सी मिलने की खुशी इन सभी मुख्यमंत्रियों को चेहरे पर बारी-बारी से देखने को मिलती रही, लेकिन इन 22 वर्षों के बाद भी राज्य के युवाओं को चेहरे पर कभी खुशी की मुस्कान नहीं देखी गयी, हां इन 22 वर्षो में इन युवाओं ने कई नारे देखे, कभी हाथी को उड़ता देखा तो कभी 1932 के खतियान पर अपने आप को उछलते, लेकिन यह उछल-कूद स्थायी नहीं रही, हकीकत की जमीन पर आते ही सारे राजनीतिक नारे दम तोड़ते नजर आयें, हां इन 22 वर्षो में इन युवाओं को हाथों में मिला बेरोजगारी का खिलौना. लेकिन ये युवा इस खिलौने से अब खेलते-खेलते थक गये हैं, अब वह कुछ करना चाह रहे हैं, अब खेलने की उनकी उम्र भी खत्म हो चुकी है, उनके सामने तो दो जून की रोटी का सवाल बड़ा सवाल बन चुका है, अब रोजगार हाथी उड़ाने से मिले या 1932 के खतियान से उन्हे तो रोजगार चाहिए.
विधानसभा का घेराव की घोषणा
यही कारण है कि इन युवाओं ने 20 मार्च को विधान सभा का घेराव करने की घोषणा की है. झारखंड यूथ एसोसिएशन के केंद्रीय संयोजक इमाम सफी ने राज्य सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि इस बीच नियोजन नीति की घोषणा नहीं की जाती है तो विधान सभा का घेराव करना हमारी विवशता होगी. 22 सालों बाद भी राज्य में ऐसी नीति का नहीं होना दुर्भाग्यपूर्ण है. 12 सीएम अब तक हो चुके पर युवाओं का भविष्य अब भी अधर में है.
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