कश्मीर के डल झील से कम नहीं है झारंखड का उधवा झील, यहां के प्राकृतिक वादियां बनी विदेशी पक्षियों का बसेरा, नए साल पर जरूर करें विजिट

साहिबगंज (SAHIBGANJ) : राजमहल की पहाड़ियों में अपना पर बिखरे झारखंड का एकमात्र उधवा पक्षी अभयारण्य यानी कि उधवाझील इन दिनों देश-विदेश के सैलानियों के बीच आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. यदि आप प्रकृति प्रेमी और पक्षियों के शौकिन हैं, तो यहां आपको एक बार जरूर आना चाहिए. यहां सैलानियों के ठहरने के लिए यहां रेस्ट हाउस से लेकर कई अन्य सुविधाएं उपलब्ध है. कश्मीर की डल झील की तर्ज पर यहां भी शिकारा बोटिंग की सुविधा मौजूद है. सर्दी का मौसम दस्तक देते ही यहां प्रवासी पक्षियों का आगमन शुरू हो जाता है, नवंबर के शुरू से फरवरी के प्रथम सप्ताह तक उधवा पक्षी अभयारण्य प्रवासी पक्षियों से भरा रहता है.
दो झील को मिलाकर बनाया गया है उधवा पक्षी अभयारण्य
प्रगति व्याख्यान केंद्र पटोरा झील बरहाल झील पुरुलिया झील-उधवा पक्षी अभयारण्य पतौड़ा झील और बरहेल झील को मिलाकर बनाया गया है. अविभाजित बिहार में 1991 में राज्य सरकार ने दोनों झील को मिलाकर उधवा पक्षी अभयारण्य का दर्जा देकर आसपास के इलाके को प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित कर दिया था. केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 2019 में एक अधिसूचना जारी कर इस झील को इको सेंसिटिव जोन घोषित कर दिया. दोनों झील कुल 565 हेक्टेयर में फैला है. इसमें अकेले बरहेल झील 410 हेक्टेयर क्षेत्रफल में है.
कई देशों से पहुंचते हैं प्रवासी पक्षी
उधवा बिट के फारेस्ट ऑफिसर इंद्रजीत कुमार दास ने “द न्यूज़ पोस्ट” के साथ प्रसिद्ध उधवा झील को लेकर जानकारी साझा करते हुए बताया कि पक्षी गणना रिपोर्ट के मुताबिक उधवा पक्षी अभयारण्य में 2020 में देशी-विदेशी मिलाकर कुल 40 से 42 प्रजाति के प्रवासी पक्षी यहां आए थे. यहां तिब्बत, चीन, साइबेरिया, मंगोलिया, मांचूरिया, रूस, दक्षिण अफ्रीका समेत, फ्रांस अन्य देशों से प्रवासी पक्षी पहुंचते हैं. साथ ही विगत कई वर्षों से इस पक्षी अभयारण्य की देखरेख का जिम्मा हजारीबाग वन प्रमंडल के अधीन था, जिसके वजह से सरकार के तरफ से जो डिप्लोपमेंट होना चाहिए था वह नहीं हो पाया था, लेकिन विगत दो तीन वर्ष पहले ही इसे साहिबगंज वन प्रमंडल को सौंपने से उधवा पक्षी अभयारण्य की स्थिति में काफी सुधार हुआ है. इस अभयारण्य के विकास के लिए हाल के दिनों में कई काम हुए हैं. डीएफओ प्रबल गर्ग का कहना है कि नववर्ष 2025 में यहां आने वाले सैलानियों को लुभाने के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाओं पर काम चल रहा है. बहुत जल्द इन योजनाओं का काम पूरा हो जाने पर उधवा झील और आकर्षक हो जाएगी.
प्रसिद्ध उधवा झील में जो प्रवासी पक्षी आए उनमें लालसर, सुर्खाब, दिघोंच, चहा, बघेरी, मछरंग, धो मरा, नकत गरुड़, लगलग, किलकिल्ला, पनकौआ, मैल, चैता, गैरी, संखार, मंजीठा, टिटवारी, चौबाहा, टिमटिमा आदि प्रमुख हैं.
रिपोर्ट-गोविंद ठाकुर
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