बिहार(BIHAR): विपक्षी एकता के प्रयास में अखिलेश यादव, ममता बनर्जी ,अरविंद केजरीवाल से चुनौती झेल रहे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को आज पटना में एक बड़ा झटका लगा. एक समय अपनी जगह पर मुख्यमंत्री की कुर्सी जीतन राम मांझी को नीतीश कुमार ने दे दी थी. लेकिन जिस सोच के साथ यह कुर्सी हैंडोवर नीतीश कुमार ने की थी, वह डगमगा गई. फिर दूसरे तरीके से नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री की कुर्सी हासिल करनी पड़ी. नीतीश मंत्रिमंडल में शामिल जीतन राम मांझी के पुत्र डॉक्टर संतोष सुमन ने मंत्री पद से मंगलवार को इस्तीफा दे दिया है. डॉक्टर संतोष सुमन पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के संस्थापक जीवन राम मांझी के बेटे है. वह नीतीश मंत्रिमंडल में एससी- एसटी कल्याण विभाग के मंत्री थे.
कई दिनों से पक रही थी खिचड़ी
हालांकि पिछले कई दिनों से खिचड़ी पक रही थी लेकिन इसका परिणाम मंगलवार को सामने आया. जीतन राम मांझी की नाराजगी से नीतीश कुमार वाकिफ थे और इसके लिए उन्होंने व्यवस्था कर रखी थी. विजय कुमार चौधरी को सब कुछ ठीक-ठाक करने के लिए लगाया था. आज भी जीतन राम मांझी और विजय चौधरी की मुलाकात हुई और उसके बाद डॉ संतोष सुमन ने इस्तीफा सौंप दिया. विपक्षी एकता के प्रयास के बीच जीतन राम मांझी नीतीश कुमार को दबाव में लाना चाहते थे. उनका कहना था कि 2024 के चुनाव में उनकी पार्टी को सम्मानजनक हिस्सेदारी मिलनी चाहिए. अगर ऐसा नहीं हुआ तो वह बिहार के सभी लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. वह चाहते थे कि बिहार में उन्हें 5 सीटें दी जाए. अप्रत्यक्ष रूप से साफ कर दिया था कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो वह नीतीश कुमार का साथ भी छोड़ सकते है.
नीतीश कुमार चाहते है छोटे छोटे डालो का विलय
नीतीश कुमार पर यह भी आरोप है कि बिहार के छोटे-छोटे दलों को वह चाहते थे कि जदयू में विलय करा लिया जाए. लेकिन छोटे-छोटे दल अपना अलग अस्तित्व बचा कर रखना चाहते है. विपक्षी एकता के बीच इस झटके का संदेश पूरे देश में अच्छा नहीं जाएगा. वैसे भी विपक्षी एकता के लिए जो बैठक बिहार में प्रस्तावित है, उसको लेकर -हम रूठते रहे, तुम मनाते रहे, कि उक्ति को चरितार्थ किया जा रहा है. कांग्रेस को लेकर अभी कोई स्थिति स्पष्ट नहीं हुई है. कांग्रेस के नेताओं को कभी नीतीश कुमार फोन करते हैं तो कभी लालू प्रसाद. विपक्षी एकता का प्रयास ,कहा जाता है कि लालू प्रसाद यादव का ही "ब्रेन चाइल्ड" है. अस्वस्थता के कारण उनका मूवमेंट अधिक नहीं हो सकता है, इस वजह से नीतीश और तेजस्वी को उन्होंने यह जिम्मेवारी सौंपी है. इधर ,पटना में 23 जून को अट्ठारह विपक्षी दलों की बैठक प्रस्तावित है. इस बैठक के परिणाम पर देश भर की नजर है.
एनडीए को मिल गया नया हथियार
वैसे इस बैठक की सार्थकता पर एनडीए की ओर से ताबड़तोड़ सवाल दागे जा रहे है. वैसे विपक्षी एकता की राह में किसी प्रकार की गलतफहमी ना हो, इसके लिए सावधानी से कदम रखा जा रहा है. सवालों के जवाब को लेकर काफी सावधानी बरती जा रही है. बीते कुछ दिनों से जदयू कार्यकर्ता पार्टी के कार्यक्रमों में यह नारा लगाते सुने जाते हैं कि देश का पीएम कैसा हो, नीतीश कुमार जैसा हो. वैसे नीतीश कुमार बार-बार यह स्पष्ट कर चुके हैं कि वह पीएम पद के दावेदार नहीं है. उनका लक्ष्य सिर्फ मिशन 2024 के लिए विपक्षी दलों को एकजुट करना है. लेकिन एनडीए इस सवाल पर नीतीश कुमार को घेरने का लगातार प्रयास कर रहा है. बहरहाल 23 जून की बैठक में क्या होगा, यह तो अभी भविष्य के गर्भ में है. लेकिन मंगलवार को जीतन राम मांझी के बेटे ने बिहार मंत्रिमंडल से इस्तीफा देकर नीतीश कुमार को एक गहरा घाव दे दिया है. यह घाव आगे कितना हरा होता है अथवा नीतीश कुमार की राजनीतिक चाल इसे बहुत जल्दी भर देगी, यह देखने वाली बात होगी.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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