धनबाद(DHANBAD): यह है कोयले की राजधानी धनबाद. यहां सभी काम खुलेआम किए जाते हैं. वैध कामों की हम चर्चा नहीं कर रहे हैं, हम बात कर रहे हैं अवैध कार्यों धंधे का. अवैध कार्यों की चर्चा करें तो नदी घाट की बंदोबस्ती नहीं है ,लेकिन डंके की चोट पर नदियों से बालू निकाला जाता है. पत्थर खदानों के लिए लीज नहीं है,कुछ है भी तो पहाड़ों को काटकर कुआं बना दिया गया है. कोयला तस्करी के लिए डंके की चोट पर मुहाने खोल लिए जाते हैं. ट्रांसपोर्टिंग में लगे वाहनों को जगह जगह खड़ा कर कोयला उतार लिया जाता है. अगर वाहन से कोयला उतारने में कोई गतिरोध होता है तो गोली, बम चलने लगते हैं.
पत्थर खनन के पट्टे की आड़ में पहाड़ को भी किया जा रहा खत्म
यह दृश्य किसी एक इलाके का नहीं है, पूरे जिले का यही हाल है. कोयला और बालू तस्करों की तो हमेशा चर्चा होती है लेकिन पत्थर माफिया कंबल ओढ़ कर घी पी रहे हैं. पत्थर खनन के पट्टे की आड़ में पहाड़ को भी खत्म किया जा रहा है. पट्टा धारियों को जिस सीमा तक पत्थर खनन करना है, उसका उल्लंघन किया जा रहा है. पहाड़ के ऊपरी हिस्से से कटाई करते करते जमीन के अंदर तक पट्टा धारी चले जा रहे हैं. नतीजा है कि कहीं तालाब बन गए हैं तो कहीं कुआं. यह है धनबाद जिले का हाल और यह हाल तब है जब सिर्फ एक जिले के मामले को लेकर प्रवर्तन निदेशालय झारखंड में जांच का सिलसिला तेज किए हुए हैं. इधर ,कोयला ढुलाई में लगे ट्रांसपोर्टरों के साथ भी कम दादागिरी नहीं की जाती है.अवैध कोयले की ढुलाई की तो बात ही निराली है. कोयला लोड वाहन चोरी का कोयला लेकर जब चलते हैं तो रास्ते में उन्हें जगह जगह रुकना पड़ता है. इलाके के दबंग पहले वाहन रुकवाते हैं,फिर चढ़कर कोयला उतारते है. इलाके को लेकर विवाद भी होता है.
कोयला उतारने को लेकर दो गुटों में जमकर मारपीट
रविवार को भी झरिया थाना क्षेत्र के बंगाली कोठी 7 नंबर के समीप हाईवा से कोयला उतारने को लेकर दो गुटों में जमकर मारपीट हो गई. दोनों ओर से पत्थरबाजी की गई .गोली चालन की भी सूचना है. कई लोगों के घायल होने की खबर है. सभी का इलाज गोपनीय ढंग से किया जा रहा है. दोनों ही गुट ने दहशत फैलाने के लिए एक दूसरे पर फायरिंग की है. झरिया पुलिस एवं सीआईएसएफ के पहुंचने के बाद भी दोनों गुट के दंगल के लोग एक दूसरे को मारने पर उतारू थे. पुलिस को मामला शांत कराने में काफी मशक्कत करनी पड़ी. स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है. लेकिन किसी ने भी थाने में शिकायत नहीं की है. हालांकि पुलिस कह रही है कि फायरिंग नहीं हुई है .सूत्रों के अनुसार बस्ता कोला से भारी मात्रा में कोयला चोरी शुरू हो गया है. रोजाना लाखों लाख कोयले की चोरी हो रही है. रोजाना बाइक एवं हाईवा से कोयला ढोया और उतारा जाता है. लोग तो यह भी बताते हैं कि कोयला केवल हाईवा से ही नहीं उतारा जाता है ,साइकिल अथवा बाइक से जो कोयला लेकर जाते हैं उनसे भी हिस्सेदारी के रूप में कोयला लिया जाता है. कोयले को इकट्ठा किया जाता है फिर दबंग बड़े वाहनों से बाहर भेज देते हैं. यह काम हर इलाकों में खुलेआम और डंके की चोट पर हो रहा है.
बेधड़क हो रही कोयले की चोरी
झरिया में जो ताजा विवाद हुआ है ,उसके संबंध में बताया जाता है कि एक गुट बस्ता कोला सात नंबर का है तो दूसरा गुट बंगाली कोठी के पास का है. दोनों गुट कोयला उतारते हैं, जमा करते हैं फिर दबंग इसे खरीद लेते हैं और बाहर भेज देते हैं. इधर बीसीसीएल कोयला चोरी रोकने के लिए कई उपाय किए, कई एजेंसियों को काम में लगाया गया बावजूद कोयले की चोरी बेधड़क हो रही है. अधिकारिक सूत्रों की माने तो कोल इंडिया लिमिटेड वित्तीय वर्ष समाप्ति के 2 सप्ताह पहले ही 50 मिलियन टन कोकिंग कोल उत्पादन का आंकड़ा पार कर लिया है. इसमें 32.10 मिलियन टन धनबाद के भारत कोकिंग कोल लिमिटेड की हिस्सेदारी है. पिछले 6 साल में कोकिंग कोल का यह आंकड़ा सर्वाधिक उत्पादन है. अगर धनबाद में कोयला चोरी बंद हो जाए तो यह उत्पादन का आंकड़ा कहां पहुंच सकता है ,इसका सहज अंदाज लगाया जा सकता है. इतनी मात्रा में कोयला चोरी होने के बाद अगर यह आंकड़ा है तो अंदाज लगाया जा सकता है कि अगर एक छटाक भी कोयले की चोरी रोक दी जाए तो कितना उत्पादन हो सकता है.
रिपोर्ट: सत्यभूषण सिंह
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