धनबाद(DHANBAD): किसका समर्थन मिला अथवा स्थिति का लाभ मिला, इसका आंकलन तो राजनीतिक पंडित करेंगे ही, लेकिन चंदनक्यारी के विधायक अमर कुमार बाउरी, जेपी पटेल सहित अन्य को ढकेल कर विधानसभा में विपक्ष के सबसे ऊंची कुर्सी पर पहुंच गए हैं .ना कोई चर्चा, ना कोई कानाफूसी , एक ही बार विपक्ष के नेता बन जाने की घोषणा. आखिर क्या वजह रही की रातों-रात अमर बाउरी सबके प्रिय हो गए और उन्हें विधानसभा में विपक्ष की सबसे बड़ी कुर्सी मिल गई.
रातों रात बीजेपी में सबके प्रिय कैसे हो गए विधायक अमर कुमार बाउरी
वैसे एडजस्टमेंट के लिए जे पी पटेल को विधायक दल का नया सचेतक बनाया गया है. इसके पहले विधायक दल के नेता के रूप में विधायक पटेल का नाम नंबर एक पर चल रहा था. लेकिन किन्हीं कारणों से सहमति नहीं बनी और यह मामला लटक गया. अचानक रविवार को बिना किसी हलचल के झारखंड के बीजेपी नेताओं को जोर का झटका धीरे से लगा .यह अलग बात है कि स्थिति ने भी अमर कुमार बाउरी का साथ दिया. अभी जो अनुसूचित जाति और ओबीसी की राजनीति चल रही है, इस वजह से बीजेपी ने भी बड़ा फैसला कर एक तीर से कई निशाना साधने का प्रयास किया है. 2024 के चुनाव में इसका कितना फलाफल आएगा, यह तो कहना अभी मुश्किल है. लेकिन घोषणा के बाद बीजेपी नेताओं में भी कानाफूसी शुरू हो गई है.
आज भी कोई खुलकर नहीं बोल रहा है और आगे भी नहीं बोलेगा
यह अलग बात है कि आज भी कोई खुलकर नहीं बोल रहा है और आगे भी नहीं बोलेगा . भीतर भीतर मलाल तो बना ही रहेगा. अमर कुमार बाउरी दूसरी बार विधायक चुनकर आए हैं. उनको विधानसभा में प्रतिपक्ष का नेता बनाकर पार्टी ने अनुसूचित जाति को साधने का प्रयास किया है. वही जे पी पटेल को मुख्य सचेतक बनाकर ओबीसी समाज को को प्रभावित करने का प्रयास किया गया है. जेपी भाई पटेल तो विधायक दल के नेता की दौड़ में भी शामिल थे. घोषणा के पहले वह पिछड़ गए. वह मांडू विधानसभा से तीसरी बार विधायक चुनकर आए हैं. बहरहाल विधानसभा में अब प्रतिपक्ष के नेता के रूप में अमर कुमार बाउरी की आवाज बुलंद करेंगे. अमर कुमार बाउरी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के करीबी रहे हैं. 2014 में बाबूलाल मरांडी की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा से जुड़कर पहली बार विधायक बने लेकिन फिर वह भाजपा में शामिल हो गए.
बाबूलाल मरांडी के विश्वासी लोगों में से एक हैं अमर कुमार बाउरी
बीजेपी सरकार में राजस्व भूमि सुधार और खेलकूद विभाग के मंत्री थे. 2019 में वह दूसरी बार चुनाव जीत कर आए. 45 वर्षीय अमर कुमार बाउरी मुखर और तेज तर्रार नेता माने जाते हैं. साथ ही बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के विश्वासी लोगों में से एक हैं. इसके पहले बीजेपी ने बाबूलाल मरांडी को प्रतिपक्ष का नेता घोषित किया था. लेकिन दल बदल मामले के कारण उन्हें विधानसभा से नेता प्रतिपक्ष की मान्यता नहीं मिली. इस बीच बाबूलाल मरांडी को पार्टी का नया प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया. प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने विधायक दल के नेता का पद छोड़ दिया था.
नेतृत्व की सहमति बनी और उन्हें विधायक दल का नेता बनाया गया.
पार्टी ने विधायक दल के नेता को लेकर रायशुमारी भी कराई. कई लोगों के नाम केंद्रीय नेतृत्व को भेजे गए. अंत में अमर कुमार बाउरी के नाम पर केंद्रीय नेतृत्व की सहमति बनी और उन्हें विधायक दल का नेता बनाया गया. इस पद के लिए कई लोगों के नाम चल रहे थे. मुख्य सचेतक बनाए गए जे पी पटेल भी नेता प्रतिपक्ष के पद की दौड़ में शामिल थे.
रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो
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