लोकसभा चुनाव 2024 : नक्सल प्रभावित सिंहभूम क्षेत्र में है कई समस्या, क्या गीता कोड़ा दूसरी बार जायेंगी संसद, या ढहेगा किला

रांची (RANCHI) : सिंहभूम सीट झारखंड का महत्वपूर्ण लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है. यह अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. 2019 में यह सीट कांग्रेस ने जीता था. कांग्रेस की गीता कोड़ा ने भाजपा के लक्ष्मण गिलुवा को हराया था. अब गीता कोड़ा बीजेपी में शामिल हो गई. लोकसभा चुनाव के एलान से पहले बीजेपी ने उन्हें टिकट भी दे दिया. हालांकि विपक्ष ने अभी तक उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है, जबकि लोकसभा चुनाव का बिगुल बज गया है. इस सीट पर 13 मई को मतदान होना है.
महिला मतदाताओं की संख्या ज्यादा
वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में पश्चिमी सिंहभूम के पांच विधानसभा क्षेत्रों के 11 लाख 16 हजार 209 मतदाता मतदान करेंगे. इनमें से 5 लाख 70 हजार 281 महिला और 5 लाख 45 हजार 903 पुरुष मतदाता हैं. युवा मतदाता 43 हजार 171 है. दिव्यांग मतदाताओं की संख्या 13 हजार 696 है, जबकि 25 ट्रांसजेंडर मतदाता हैं. इस जिले के सभी पांच विधानसभा क्षेत्रों में महिला मतदाताओं की संख्या ज्यादा है. इसके अलावा सरायकेला विधानसभा क्षेत्र के 3 लाख 63 हजार 539 मतदाता भी इस सीट के लिए मतदान करेंगे. इसमें महिला मतदाताओं की 1 लाख 81 हजार 556 तथा पुरुष मतदाताओं की संख्या 1 लाख 81 हजार 874 है. यानि सिंहभूम सिट पर 14 लाख 79 हजार 748 मतदाता मतदान करेंगे. पिछले लोकसभा चुनाव में इस सीट पर 69 प्रतिशत मतदान हुआ था.
अनुसूचित जनजाति बहुल इलाका है सिंहभूम सीट
सिंहभूम क्षेत्र का पूरा इलाका वन, पहाड़ और पठार से भरा हुआ है. इस इलाके की पहचान अब भी आर्थिक रूप से पिछड़े इलाके में होती है. यह क्षेत्र अनुसूचित जनजाति बहुल इलाका है और यह सीट एसटी के लिए आरक्षित है. इस क्षेत्र में पश्चिमी सिंहभूम जिले के चाईबासा, चक्रधरपूर, जगन्नाथपुर, मझगांव और मनोहरपुर तथा सरायकेला-खरसावां जिले का सरायकेला विधानसभा क्षेत्र शामिल है. यहां हमेशा कांग्रेस और बीजेपी के बीच टक्कर होती रही है. 2014 में बीजेपी कोटे से लक्ष्मण गिलुआ सांसद बने थे, जबकि 2019 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की गीता कोड़ा सांसद बनी थी. इस बार कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुई गीता कोड़ा को इस लोकसभा क्षेत्र से भाजपा ने टिकट दिया है.
नक्सल प्रभावित इलाका है यह सीट
सिंहभूम लोकसभा क्षेत्र की एक बड़ी आबादी गांवों में रहती है, जो खेती और जंगल में लकड़ी काटकर अपना गुजर-बसर करती है. क्षेत्र में रोजगार के साधन नहीं हैं, जिसका असर यहां के लोगों के जन-जीवन पर दिखता है. यहां रोजगार की घोर समस्या है. यह इलाका नक्सल प्रभावित है. नक्सलियों के क्षेत्र के लोगों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है. गरीबी की जकड़ में भोले-भाले आदिवासियों को मानव तस्कर भी शॉफ्ट टार्गेट करते हैं. लोगों को रोजगार का झांसा देकर तस्कर दूसरे राज्यों में बेच देते हैं. यहां के स्टूडेंट्स को हायर एजुकेशन के लिए बाहर जाना पड़ता है. हालांकि अभी हाल ही में सीएम चंपाई सोरेन ने एलान किया है कि यहां के छात्रों को हायर एजुकेशन के अब बाहर नहीं जाना पड़ेगा. यहीं पर उनको उच्च शिक्षा दी जायेगी.
उद्योग धंधों का घोर अभाव
सिंहभूम लोकसभा क्षेत्र में उद्योग धंधों का घोर अभाव है. यही वजह है कि यहां बेरोजगारी और पलायन बड़ी समस्याएं हैं. लोगों का कहना है कि पिछले 10 सालों में यहां कोई नया उद्योग नहीं लगा है. गीता कोड़ा ने भी लोगों को रोजगार दिलाने में नाकाम साबित हुई है. जिसके कारण लोग उनसे नाराज चल रहे हैं. यहां खिलाड़ियों को बुनियादी सुविधाएं नहीं मिलती. इस लोकसभा क्षेत्र में समाज के हर तबके के लोगों की अपनी-अपनी समस्याएं हैं.
लोगों का क्या है कहना ?
हालांकि सांसद गीता कोड़ा और विरोधियों के अपने-अपने दावे हैं. लेकिन अब गेंद पूरी तरह से जनता के हाथों में है. लोगों का कहना है कि यहां बहुत समस्याएं है जिसका समाधान अभी तक नहीं हुआ है. यहां से जो सांसद बने हैं वो अपने वादे पर खड़ी नहीं उतरी. लोगों की नाराजगी मौजूदा सांसद गीता कोड़ा से जरूर है. लेकिन कुछ लोगों का कहना है कांग्रेस सांसद ने काम किया है, लेकिन जैसा होना चाहिए वैसा नहीं हुआ है. अब देखना होगा कि आने वाले लोकसभा चुनाव में किस पार्टी के प्रत्याशी को वोट करती है, जो यहां की समस्याओं को दूर कर सके.
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