टीएनपी डेस्क (TNP DESK): बिहार के बाहुबली व पूर्व सांसद आनंद मोहन जेल से रिहा हो गए हैं, लेकिन इसके बाद भी उनकी मुश्किलें थमती नहीं दिख रही हैं. दरअसल उनके रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक मामला दर्ज किया गया था. जिसमें 8 मई को उनके खिलाफ सुनवाई होगी. बता दें कि दिवंगत आईएएस जी. कृष्णैया की पत्नी उमा देवी की ओर से सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका दायर की गई है. इन दिनों आनंद मोहन अपने बेटे चेतन आनंद की शादी की तैयारियों में जुटे हैं
बिहार सरकार के फैसले पर रोक लगाने की मांग
आईएस जी. कृष्णैया की पत्नी उमा देवी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से बिहार सरकार के फैसले पर रोक लगाने की मांग की है. इसी मामले में 8 मई को सुनवाई होगी.
उत्तर प्रदेश के आईएएस एसोसिएशन ने किया था विरोध
उत्तर प्रदेश के आईएएस एसोसिएशन ने भी बिहार सरकार के इस कानून का विरोध किया था. एसोसिएशन ने गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी. कृष्णय्या की हत्या के दोषी आनंद मोहन की रिहाई का विरोध किया है. एसोसिएशन ने बिहार सरकार से फैसले पर जल्द से जल्द पुनर्विचार करने की अपील की है. एसोसिएशन का कहना था कि, हम बिहार की राज्य सरकार से राष्ट्रहित में जल्द से जल्द अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की पुरजोर अपील करते हैं.
आईएएस की हत्या के आरोप में काट रहे थे उम्र कैद की सजा
आपको बता दें कि 5 दिसंबर 1994 को आईएएस अधिकारी जी. कृष्णैया की उस समय हत्या कर दी गई थी, जब वह मुजफ्फरपुर के गैंगस्टर छोटन शुक्ला की अंतिम यात्रा हो रही थी. उस समय छोटन शुक्ला के समर्थक जुलूस निकालकर शव का अंतिम संस्कार करने जा रहे थे. इसी बीच गोपालगंज के डीएम कृष्णैया नेशनल हाईवे से गोपालगंज लौट रहे थे. वह हाजीपुर में चुनाव से जुड़ी एक मीटिंग से लौट रहे थे. जैसे ही डीएम का काफिला गोपालगंज पहुंचा तो उनका गाड़ी छोटन शुक्ला के अंतिम यात्रा में फंस गई. जिसके बाद आनंद मोहन के भड़काने पर छोटन शुक्ला के समर्थक ने कृष्णैया की हत्या कर दी थी. समर्थकों ने कृष्णैया को उनकी कार से निकालकर पीट-पीटकर मार दिया था. जिसके बाद ट्रायल कोर्ट में साल 2007 में हत्या के विरूद्ध सुनवाई हुई जिसमें कोर्ट ने आनंद मोहन को मौत की सजा सुनाई थी. लेकिन एक साल बाद 2008 में पटना हाईकोर्ट ने आनंद मोहन की मौत की सजा को उम्र कैद में बदल दिया था. जिसके बाद से ही वह जेल में उम्र कैद की सजा काट रहे थे. उनके तरफ से सजा के विरूद्ध सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दी गई थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट से उन्हों कोई राहत नहीं मिली थी. तब से वह सहरसा के जेल में बंद थे. जिसके बाद 26 अप्रैल 2023 को ही कोर्ट द्वारा पूर्व सांसद को जेल से रिहा किया गया.
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