दुमका(DUMKA): संथाल परगना प्रमंडल में कोई भी उद्योग लगाना शासन और प्रशासन के साथ- साथ उस कंपनी के लिए काफी कठिन होता है. इसके कई उदाहरण है, जिंदल कंपनी ने लगभग डेढ़ दशक पूर्व दुमका में पावर प्लांट लगाना चाहा, रैयतों ने इस कदर विरोध किया कि तीर- धनुष से लेकर गोलियां चली, मौत हुई और जिंदल को बोरिया बिस्तरा समेट कर गोड्डा की ओर रुख करना पड़ा. वर्ष 2013 में गोड्डा के सुंदरपहाड़ी में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने जिंदल पावर प्लांट का शिलान्यास किया, लेकिन प्लांट लगाने में सफलता नहीं मिली. अंत मे जिंदल को संथाल परगना का मोह त्याग कर वापस लौटना पड़ा. वजह है एसपीटी एक्ट का लागू रहना. इन दिनों दुमका जिला के शिकारीपाड़ा थाना क्षेत्र में आवंटित कोल ब्लॉक का मामला चर्चे में है. दरअसल झारखंड सरकार ने वर्षों पूर्व शिकारीपाड़ा प्रखंड क्षेत्र में तीन कोल कंपनियों के साथ कोयला खनन के लिए एमओयू किया था. हरियाणा की एक कंपनी ग्रामीणों के विरोध के कारण शुरुआती दौर में ही क्षेत्र छोड़कर चली गई.
टेस्टिंग बोरिंग का ही ग्रामीण कर रहे विरोध
वर्तमान समय में जामरू पानी और शहरपुर बेस के 20 गांव में कोयला खनन के लिए उत्तर प्रदेश विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड के साथ झारखंड सरकार का एमओयू है. प्रक्रिया के तहत आवंटित क्षेत्र में टेस्टिंग बोरिंग कराना है. जिला प्रशासन टेस्टिंग बोरिंग कराने के लिए सरकारी भूमि चिन्हित करते हुए ग्रामसभा से सहमति लेने का प्रयास कर रहा है. लेकिन यह काम इतना आसान भी नहीं, क्योंकि इस मार्ग में कई रोड़े है. गत बुधवार को ढोलकाटा, सिमानीजोर एवं पातपहाड़ी गांव में अनुमंडल पदाधिकारी कौशल कुमार के नेतृत्व में ग्रामसभा कर कोल कंपनी के लिए टेस्टिंग बोरिंग कराने के लिए ग्राम सभा की सहमति लेने गए पदाधिकारियों की टीम को ग्रामीणों के विरोध का सामना करना पड़ा, जिसके कारण टीम को खाली हाथ लौटना पड़ा. ग्रामीण कोल ब्लॉक के लिए जमीन देने के लिए तैयार नहीं है. पूर्व में अंचल अधिकारी ने संबंधित गांव के ग्राम प्रधानों को नोटिस जारी कर अपने अपने गांव में ग्राम सभा करते हुए कोयला खनन के लिए सहमति पत्र प्रस्तुत करने के लिए निर्देश दिया था. लेकिन विरोध के कारण वह भी संभव नहीं हो सका. गुरुवार को एक बार फिर से एसडीओ के नेतृत्व में शिकारीपाड़ा प्रखंड सभागार में पंचायत प्रतिनिधियों और ग्राम प्रधानों के साथ बैठक हुई.
बात गांव की समस्या से शुरू होती है और पहुँचती है जमीन तक
वैसे तो अधिकारी ने इस बैठक को ग्रामीण क्षेत्रों में व्याप्त समस्या से अवगत होने और उसके समाधान की दिशा में कदम उठाने की बात कही, लेकिन सूत्रों की मानें तो बैठक के दौरान कोल ब्लॉक का मुद्दा छाया रहा. बैठक के दौरान जनप्रतिनिधियों और ग्राम प्रधानों से सहयोग की अपील की गई. इतना ही नहीं, शुक्रवार को जिला स्तर से एक टीम गठित की गई है. टीम जिस गांव में टेस्टिंग बोरिंग कराना है, वहां ग्राम सभा आयोजित कर सहमति पत्र लेने का प्रयास शुरू कर दी है. , लेकिन प्रशासन को सफलता नहीं मिल रही है. जानकारी के मुताबिक 11 अधिकारियों की एक टीम 29 अप्रैल को से प्रयास शुरू किया है. हुलसडंगाल, मकड़ा पहाड़ी , 02 मई को ढोलकट्टा - मंझलाडीह , 03 मई को पातपहाड़ी -सीमानीजोर , 04 मई को दलदली - मोहलबना गांव में जाकर ग्रामीणों के साथ बैठक कर ग्रामसभा के माध्यम से सहमति पत्र लेने का प्रयास करेगी. लेकिन शुरूआती दौर में टीम को रैयतों के विरोध का ही सामना करना पड़ा.
संताली भाषा के जानकार अधिकारी को ही भेजा जा रहा रैयतों के पास
शिकारीपाड़ा में कोल ब्लॉक क्षेत्र में ड्रिलिंग का स्थानीय रैयतों के विरोध को देखते हुए जिला प्रशासन ने ग्रामीणों से समन्वय स्थापित करने के लिए ,जो टीम बनाई है, वे सभी संताली भाषा की जानकारी रखने वाले 11 पदाधिकारी है. डीसी रविशंकर शुक्ला द्वारा 26 अप्रैल को इस संबंध में जारी आदेश में पदाधिकारियों को निर्देश दिया है कि ड्रिलिंग कार्य के लिए संबंधित गांवों में ग्रामीणों के साथ समन्वय स्थापित कर ग्राम सभा सम्पन्न कराये. जिला प्रशासन द्वारा प्रतिनियुक्त पदाधिकारियों का नाम और पदनाम है.. 1.आशीष कुमार हेम्ब्रम, जिला शिक्षा अधीक्षक 2.अमिताभ बच्चन सोरेन, कार्यपालक विद्युत अभियंता 3.अमरदीप हांसदा, ई-डिस्ट्रिक्ट मैनेजर 4.सुदर्शन मुर्मू, कनीय अभियंता शिकारीपाड़ा 5.नाजिर हेम्ब्रम, कनीय अभियंता शिकारीपाड़ा 6.देवीश्वर हांसदा, सहायक अभियंता सिंचाई प्रमंडल दुमका 7.अनिल कुमार बेसरा, कनीय अभियंता,भवन निर्माण निगम,दुमका 8.सान्जॉन्स किस्कू, कनीय अभियंता दुमका प्रखंड 9.शिवमंगल मुर्मू, सहायक अभियंता लघु सिंचाई 10.ब्रजेन्द्र सोरेन, सहायक अभियंता लघु सिंचाई दुमका 11.सुरेंद्र हेम्ब्रम बीईईओ गोपीकांदर
यूपी विद्युत उत्पादन निगम को आवंटित है शहरपुर जमरूपानी कोल ब्लॉक
शहरपुर जमरूपानी कोल ब्लॉक उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड ,लखनऊ को आवंटित है. ड्रिलिंग का काम शहरपुर जमरूपानी कोल ब्लॉक क्षेत्र के 8 गांवों के 10 अलग-अलग प्लॉट में होना है. जिन गांवों में ड्रिलिंग का कार्य होना है, उसमें हुलसडंगाल, मकरापहाड़ी, मझलाडीह, ढोलकाटा, पातपहाड़ी, सीमानीजोर, दलदली और मोहुलबना शामिल है.
रैयतों से जमीन के लिए पसीने बहा रहे अधिकारी
संथाल परगना प्रमंडल में एसपीटी एक्ट लागू रहने के कारण किसी भी उद्यग धंधे के लिए जमीन मुहैया कराना शासन और प्रसासन के समक्ष चुनौती जरूर है लेकिन असंभव नहीं. गोड्डा में अडानी का पॉवर प्लांट इसका उदाहरण है. जिंदल के जाने के बाद अडानी ने संथाल परगना प्रमंडल में प्लांट लगाने की पहल शुरू की. पहले अडानी के लिए पथरगामा प्रखंड क्षेत्र में जमीन की तलाश की गई, लेकिन ग्रामीणों के विरोध को देखते हुए स्थान परिवर्तित कर सदर प्रखंड के मोतिया गांव को चिन्हित किया गया. यहां भी रैयतों ने विरोध शुरू किया लेकिन विरोध के बाबजूद आज अडानी पावर प्लांट से बांग्लादेश रोशन हो रहा है. इसलिए शिकारीपाड़ा में कॉल ब्लॉक लगाना असंभव तो नहीं लेकिन कठिन जरूर है.
रिपोर्ट: पंचम झा
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