रांची(RANCHI): जब हौसला और जुनून हो तो बड़ी से बड़ी उपलब्धि अपने नाम दर्ज किया जा सकता है. इसका उदाहरण झारखंड के छोटे से गांव से निकली सलीमा दे रही हैं. दिल में हॉकी का जज्बा और हौसला था, लेकिन बीच में पैसा, बेबसी और लाचारी आड़े थी. इन सब के बीच सलीमा ने अपना ध्यान बेबसी, लाचारी और गरीबी से हटा कर सीधे हॉकी के उस मुकाम पर रखा कि कुछ भी हो जाए बस देश के लिए खेलना है. एक नेशनल प्लेयर की कहानी कुछ ऐसी ही है. सलीमा के पास खेलने के लिए हॉकी स्टिक खरीदने के भी पैसे नहीं थे. खाने तक को अच्छा खाना नहीं था. लेकिन फिर भी सिर्फ माण-भात खा कर और लकड़ी का हॉकी स्टिक बनाकर सलीमा अपने सफ़र की शुरुआत पर निकल गई. इसके बाद एक के बाद एक ऊंचा मुकाम उनके नाम दर्ज होता चला गया. आज सलीमा ऐसे मुकाम पर पहुंच गई हैं जहां जाना हर किसी का सपना होता है.
32 खिलाड़ियों में सलीमा टेटे का नाम शामिल
बता दें कि, देश भर के 32 खिलाड़ियों को राष्ट्रपति भवन में 17 जनवरी को अर्जुन अवार्ड से नवाजा जाएगा. इन 32 खिलाड़ियों में भारतीय महिला हॉकी टीम की कैप्टन व झारखंड की सलीमा टेटे का नाम भी शामिल है. सलीमा टेटे झारखंड की पहली महिला खिलाड़ी हैं जिन्हें अर्जुन अवार्ड से पुरस्कृत किया जा रहा है. सलीमा ने न केवल अपने सपने को साकार किया है बल्कि झारखंड को भी गौरवान्वित किया है.
लकड़ी के डंडे को हॉकी बना कर सलीमा करती थीं प्रेक्टिस
झारखंड के सिमडेगा जिले में 26 दिसंबर 2001 को एक छोटे से गांव बड़की छापर में सलीमा टेटे का जन्म हुआ था. सलीमा के पिता सुलक्षण टेटे और माता सुभानी टेटे दोनों ही किसान हैं. सलीमा के पिता सुलक्षण टेटे स्थानीय स्तर पर हॉकी खेलते थे. वहीं, सलीमा की बड़ी बहन को भी हॉकी खेलने का शौक था. सलीमा की बड़ी बहन अनिमा टेटे ने भी राज्य स्तर पर हॉकी खेला है.
ऐसे में सलीमा भी अपने पिता व बड़ी बहन के ही नक्शे कदम पर चल पड़ी. बचपन से ही सलीमा को हॉकी खेलने का जुनून सवार था. घर की स्थिति खराब होने के कारण सलीमा का बचपन काफी कठिनाइयों से गुजरा. लेकिन फिर भी सलीमा ने अपने परिस्थितियों से हार नहीं मानी और अपने सपने को साकार करने के लिए जी तोड़ मेहनत करनी शुरू कर दी. गांव के उबड़-खाबड़ मैदान में लकड़ी के डंडे को हॉकी और कपड़े के बने गेंद से हॉकी की प्रेक्टिस करनी शुरू कर दी. ऐसे में सलीमा की मेहनत और लग्न को देख कर उनके परिवार वालों ने भी सलीमा का पूरा सहयोग किया. सलीमा के मेहनत का ही नतीजा है कि आज उन्होंने एक अलग ही मुकाम हासिल कर लिया है. खस्सी कप से पहली प्रतियोगिता शुरू करने के बाद आज सलीमा राज्य से लेकर राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय, एशिया कप, ओलंपिक और एशियन गेम्स तक कई हॉकी प्रतियोगिताओं में वह भारत के लिए खेल चुकी हैं.
राज्य से लेकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेलने तक का सफर
सलीमा के सफर की बात करें तो साल 2013 में सलीमा की प्रतिभा पहली बार उभर कर तब आई जब सिमडेगा में आवासीय हॉकी सेंटर के लिए सलीमा का चयन किया गया. जिसके बाद साल 2014 में सलीमा का चयन सब जूनियर झारखंड टीम में हुआ. इसके बाद अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेलने का मौका साल 2016 में सलीमा को मिला. साल 2016 में सलीमा का चयन पहली बार जूनियर भारतीय महिला हॉकी टीम में हुआ और उन्हें स्पेन जाने का मौका मिला. इसी साल इसी साल बैंकॉक में अंडर-18 एशिया कप आयोजित किया गया था. जिसमें सलीमा को जूनियर भारतीय महिला टीम का उपकप्तान बनाया गया था. इस प्रतियोगिता में सलीमा की टीम कांस्य पदक विजेता बनी थी. इसके बाद सलीमा एक के बाद एक उपलब्धि दर्ज करती गईं.
साल 2016 के नवंबर में ही सलीमा को सीनियर टीम में जगह मिल गई और वह ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गईं. जिसके बाद साल 2018 में हुए यूथ ओलंपिक से सलीमा को पहचान मिली. इस यूथ ओलंपिक में सलीमा की कप्तानी में भारतीय टीम ने रजत पदक हासिल किया था. इसके बाद साल 2020 में हुए टोक्यो ओलंपिक में सलीमा ने भारतीय महिला हॉकी टीम को सेमीफाइनल तक पहुंचाया और टीम ने कांस्य पदक हासिल किया था. इसके बाद साल 2021 में दक्षिण अफ्रीका के पोटचेफस्ट्रूम में एफआईएच महिला जूनियर विश्व कप दक्षिण अफ्रीका 2021 आयोजित किया गया. जिसमें सलीमा ने कप्तान के रूप में भारतीय महिला जूनियर हॉकी टीम का नेतृत्व किया. 2021-22 में FIH हॉकी महिला प्रो-लीग व साल 2022 में महिला एशिया कप में सलीमा ने भारत को तीसरा स्थान दिलाया था. सलीमा के शानदार खेल प्रदर्शन का नतीजा ये हुआ कि एशिया हॉकी महासंघ ने सलीमा को दो साल (25 मार्च 2023 से 25 मार्च 2025) तक ले लिए एशिया महादेश का एथेलेक्टिस एंबेसेडर बनाया गया. वहीं, साल 2024 के मई में सलीमा को भारतीय राष्ट्रीय फील्ड हॉकी टीम का कप्तान चुना गया था.
गरीबी और लाचारी को पीछे छोड़ते हुए आज सलीमा उस मुकाम तक पहुंच गई हैं जहां पहुंचने का सपना हर खिलाड़ी देखते हैं. सलीमा आज देश के हजारों युवाओं को प्रेरित कर रही हैं कि अगर कोई चाहे तो बिना सुविधाओं के भी अपना सपना साकार कर सकता है. आज वे भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान के रूप में वह भारत का नेतृत्व कर रही हैं. उनके शानदार प्रदर्शन के कारण ही उन्हें 17 जनवरी को राष्ट्रीय भवन में देश का सम्मानित खेल पुरस्कार अर्जुन अवार्ड से नवाजा जाएगा. ऐसे में सलीमा ने देश के साथ-साथ अपने राज्य का भी नाम रौशन कर दिया है.
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